भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में समुद्र जैसी विराट ब्रह्मपुत्र नदी की गोद में स्थित माजुली को दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप कहा जाता है। हालांकि दुनिया के सबसे बड़े नदी-द्वीप के 'खिताब' पर कुछ भ्रम की स्थितियां हैं लेकिन प्राय: कहा और माना जाता है कि माजुली दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। माजुली को पूर्वोत्तर राज्य असम की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है जिसकी सत्र परंपराओं का दर्शन भी एक अलग जीवन की अनुभूति है।

कहने को किसी भी नदी-द्वीप की यात्रा अपने आप में रोमांचक और लंबे समय तक याद रहने वाली हो सकती है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप देखना, उसके समृद्ध सांस्कृतिक जीवन से रूबरू होना और स्थानीय लोगों के बीच रहकर उसे जीना दिलचस्प ही नहीं कौतुक भरा है। ऐसा कौतुक जिसका अहसास जीवन भर भुलाया ही नहीं जा सकता। शेष भारत के लोगों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी इस स्थान पर खिंचे चले आते हैं या आ सकते हैं क्योंकि माजुली केवल एक नदी द्वीप नहीं बल्कि पूरी एक संस्कृति है जिसकी शताब्दियों पुरानी परंपराओं में जीवन के कुछ दिन बिताना बिल्कुल अलग और अद्भुत रहेगा।

जोरहाट शहर से सिर्फ 20 किमी और गुवाहाटी से 347 किलोमीटर दूरी पर स्थित माजुली द्वीप लगभग 1250 वर्ग किमी में फैला हुआ है। असम की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक माजुली यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल होने के लिए कई बार दावेदारी पेश कर चुका है लेकिन यह अब तक संभव नहीं हो पाया। अलबत्ता साल 2016 में दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप के रूप में घोषित होने के बाद माजुली को काफी प्रसिद्धी मिली।

यह नदी द्वीप अपने सुंदर नजारों, सांस्कृतिक विरासत और जीवंत परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इसीलिए यह उन सैलानियों को अधिक आकर्षित करता है जो नया अनुभव लेने की चाहत रखते हैं। इसके पूरे परिदृश्य में कई छोटे-छोटे गांव हैं जहां लोग बांस की झोपड़ियों में रहते हैं और हाथ से चीजें बनाते हैं। यहां स्थानीय लोगों को आग पर खाना पकाते देखा जा सकता है। वहां जाकर आप भी ऐसा कर सकते हैं।
माजुली द्वीप 16वीं शताब्दी से ही असम के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्रों में से एक रहा है। यह कभी नव-वैष्णव संस्कृति का प्राथमिक केंद्र था। असमिया संत श्रीमंत शंकरदेव द्वारा निर्मित कई मठ अभी जीवंत हैं और असम की संस्कृति को दर्शाते हैं। इस संस्कृति की सबसे सुदृढ़ कड़ी हैं यहां के सत्र। यहां कई सत्र चलते हैं जिसमें जीवन पूरा पारंपरिक है। यही सत्र माजुली की संस्कृति के आधार हैं।
माजुली पक्षियों को देखने-निहारने के लिए भी अच्छा है। यहां घरेलू और प्रवासी दोनों पक्षियों को देखा जा सकता है। इन परिंदों में सारस, किंगफिशर, इग्रेट, पर्पल मूरहेन और व्हाइट-ब्रेस्टेड वॉटरहेन शामिल हैं। वन्य जीव-जगत की जानकारी पाने के लिए भी लोग इस स्थान पर आना पसंद करते हैँ।
माजुली आने का बेहतर समय
माजुली द्वीप ब्रह्मपुत्र नदी के बीच स्थित है इसलिए हर साल बाढ़ का खतरा रहता है। माजुली द्वीप की यात्रा के लिए मानसूनी मौसम कतई आदर्श समय नहीं है। गर्मी का मौसम काफी गर्म होता है जिससे इस क्षेत्र में यात्रा करना फिर से थोड़ा मुश्किल हो जाता है। माजुली द्वीप की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम है जो नवंबर में शुरू होता है और मार्च में समाप्त होता है। यहां का मौसम ठंडा और सुहावना है।
कैसे पहुंचें इस अद्भुत जगह
मंजुली द्वीप तक पहुंचने के लिए सैलानियों को पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम के जोरहाट जाना होगा। जोरहाट में निमिहाट घाट से एक नाव के जरिये माजुली तक पहुंचा जाता है। माजुली पहुंचने का यही एक तरीका है क्योंकि यहां ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल नहीं है।
निमिहाट घाट एक नदी बंदरगाह है जहां से मोटर बोट या घाट संचालित होते हैं। द्वीप तक पहुंचने में लगभग एक घंटा लगता है। माजुली के तट पर कई बंदरगाह हैं। इन सभी में सबसे लोकप्रिय कमलाबाड़ी घाट है जहां आप संभवत: उतरेंगे। घाट से शेयरिंग कैब और बसें चलती हैं जो आपको द्वीप के अंदर तक ले जाएंगी।