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कृष्ण जन्माष्टमी पर सिडनी शहर में मथुरा की कुंज गली जैसा नजारा!

सिडनी के शनेस पार्क में इस्कॉन द्वारा आयोजित जन्माष्टमी उत्सव में हवन किया गया। इसके साथ ही इस्कॉन भक्तों ने महाभारत की कहानी के मुख्य अंशो को नाटक के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत भी किया।

Radha Krishna. Credit - Iskon Sydney Temple

सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ जन्मष्टमी मनाई गई। यह त्यौहार भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतार भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। यह त्यौहार भादों के कृष्ण पक्षकी अष्टमी को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बृहस्पतिवार 7 सितम्बर 2023 को पड़ी।

इस अवसर पर सिडनी में बसे भारतीय प्रवासियों ने घरो में पूजा अर्चना कर के मंदिरो का रुख किया। मंदिरो के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी लाइन देखने की मिली। भीड़ में खड़े श्रद्धालू 'जय कन्हैया लाल की' गाते हुए नजर आए।

सिडनी के शनेस पार्क  में इस्कॉन द्वारा आयोजित जन्माष्टमी उत्सव में हवन किया गया। यहां भी बढ़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसके साथ ही इस्कॉन भक्तों ने महाभारत की कहानी के मुख्य अंशो को नाटक के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत भी किया।

महाभारत की कहानी के मुख्य अंशो का नाटक प्रस्तुत करते श्रद्धालु। Photo by - Saraswati Singh

जिस तरह जन्माष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं, पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नए कपड़े और आभूषणों से सजाते हैं और अपने परिवार की भलाई के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। उसी तरह सिडनी में भारतीय प्रवासियों ने अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाया।

सिडनी में भारतीयों ने लंबी कतार में लगकर 'हरे कृष्णा' मंत्रोचरण के साथ भगवान को प्रसाद चढ़ाया और लड्डू गोपाल (कृष्ण के बाल स्वरूप) को झूले में भी झुलाया। इसके साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों ने कृष्ण की वेशभूषा पहनी और भगवान के असली बाल सखा की छटा बिखेरते नज़र आए।

कृष्ण जमष्टमी हवन में भाग लेते भक्त। Photo by - Saraswati Singh

ऐसे ही सिडनी के कई मंदिरो में दही हांड़ी का भी आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए छोटे बच्चों में खास उत्साह देखने को मिला। लड़कों ने कृष्ण का रूप धारण किया तो लड़कियों ने राधा और गोपियों का रूप बनाकर सिडनी में वृन्दावन की कुंज गली को जीवंत कर दिया।

एक वर्ग के लोगों ने आधी रात तक निर्जला वृत भी रखा। वहीं कुछ लोगों ने पूरे दिन हल्का और सात्विक भोजन गृहण किया। चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म आधीरात को हुआ था इसलिए उनकी पूजा रात मेंकी जाती है। आधी रात को उनके जन्म के बाद भक्त मूर्तियों को कृष्ण का पसंदीदा माखन मिश्री का भोग, दूध और दही चढ़ाते हैं।

झूला झूलते लड्डू गोपाल। Photo by - Saraswati Singh

पिछले आठ साल से इस्कॉन संस्था के साथ जुड़ी भक्त रजनी शर्मा अपने अनुभव को सांझा करते हुए कहती हैं कि हमारी कम्युनिटी का जो उद्देश्य कृष्णा प्रेम को आगे बढ़ाना है। मुझे यहां से जुड़ कर अपने देश से दूर परिवार की कमी कभी महसूस नहीं हुई। यहां पर आए भक्त एकादशी का व्रत तो रखते ही हैं। बल्कि उनमें से कुछ तो निर्जला व्रत करते हुए सेवा कर रहे है। आज हम लोग कृष्ण जन्माष्टमी जैसे महामहोत्सव के माद्यम से अपनी अगली पीढ़ी को अपने सभ्यता-संस्कार से परिचित करा रहे हैं।

इस्कॉन श्रद्धालु रजनी शर्मा, भागवत गीता और अन्य आद्यात्मिक किताबो से। Photo by - Saraswati Singh

आपको बता दें कि कृष्ण जन्माष्टमी भारत के साथ दुनिया के हर देश में हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहार है। इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भारत के  मथुरा में आधी रात को रानी देवकी और राजा वासुदेव के जीवन में आए कृष्ण इस सदी में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं।

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