भारत रहस्यों और चमत्कारों की भूमि है। रहस्यमयी चीजों और जगहों में रुचि रखने वालों के लिए भारत में बहुत कुछ है। ऐसी ही एक जगह है वशिष्ठ गुफा। माना जाता है कि तीन हजार साल से भी ज्यादा पुरानी ये गुफा गुरु वशिष्ठ की तपस्थली हुआ करती थी जो भगवान श्री राम के िकुलगुरु थे।

ये गुफा भारत के उत्तराखंड राज्य के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल ऋषिकेश के नजदीक है। कहा जाता है कि इस गुफा में आकर अद्भुत शांति का अहसास होता है। शहर के शोरगुल से दूर ये जगह पर्यटकों को अलग ही अनुभव कराती है। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि ये रहस्यमयी गुफा है।
लोगों में मान्यता है कि इस गुफा में आज भी गुरु वशिष्ठ किसी ने किसी रूप में वास करते हैं। इसलिए सूरज ढलने के बाद इस जगह पर कोई नहीं जाता है। हालांकि गहन ध्यान और मेडिटेशन करने वाले यहां आते रहते हैं। इस गुफा के अंदर एक शिवलिंग भी है।

इस गुफा को लेकर भी एक कहानी प्रचलित है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, गुरु वशिष्ठ ने अपने सभी पुत्रों की मृत्यु होने के बाद खुद भी गंगा में अपने प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया था। लेकिन गंगा ने उन्हें स्वीकार करने से मना कर दिया।
इसके बाद वशिष्ठ की पत्नी ने गंगा के पास इसी स्थान पर रुकने का निश्चय किया। वशिष्ठ ने लंबे समय तक यहां पर तपस्या की। इस जगह के आसपास कई और भी गुफाएं हैं। यहां पर आप प्राकृतिक रूप से बनी गुफाओं और हरे भरे वन का लुत्फ उठा सकते हैं।
कैसे पहंचें
वशिष्ठ गुफा ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। ऋषिकेश जाने के लिए ट्रेन, बस, टैक्सी की सुविधाएं उपलब्ध हैं। नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून के जौली ग्रांट एयरपोर्ट है। ऋषिकेश से वशिष्ठ गुफा तक प्राइवेट टैक्सी के जरिए पहुंचा जा सकता है।