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भारत के गौरव व देशभक्ति का प्रतीक है राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’

भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ देश के लिए गर्व और आशा का संचार भी पैदा करता है। यह राष्ट्रगान इसलिए भी विशेष है कि इसमें भारत देश के इतिहास, संस्कृति, परंपरा, इसके लोगों और क्षेत्रों की एक विशिष्ट पहचान को प्रदर्शित करता है।

पूरी दुनिया में जितने भी देश हैं, उनका अपना राष्ट्रगान है। यह परंपरा वर्षों पुरानी है। असल में राष्ट्रगान देशभक्ति और राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है, जिसको पढ़/सुनकर/गाकर कोई भी देशवासी गर्व महसूस कर सकता है। लोगों में देशभक्ति व अपने देश के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए ही राष्ट्रगान का जन्म हुआ। विभिन्न देश अलग-अलग अवसरों पर राष्ट्रगान गाते हैं। असल में राष्ट्रगान देशवासियों में साहस और राष्ट्रवाद की भावना का भी संचार करता है। राष्ट्रगान देश के प्रति सम्मान दिखाने और एकता व सद्भाव का संदेश व्यक्त करने का भी एक माध्यम है। यह भी स्पष्ट है कि राष्ट्रगान किसी भी देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास का भी प्रतीक है। भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ भी देश के लोगों में यही भावना का संचार करता है।

भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ देश के लिए गर्व और आशा का संचार भी पैदा करता है। यह राष्ट्रगान इसलिए भी विशेष है कि इसमें भारत देश के इतिहास, संस्कृति, परंपरा, इसके लोगों और क्षेत्रों की एक विशिष्ट पहचान को प्रदर्शित करता है। भारत की सरकार ने ‘जन-गण-मन’ को देश की संविधान सभा में 24 जनवरी, 1950 को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रगान घोषित किया था। लेकिन इसका इतिहास उससे भी पुराना है। वैसे तो अंग्रेजों के गुलामी के दौर में गुलामी के दौर में 1870 में अंग्रेजों ने ‘गॉड सेव दि क्वीन’ गीत को गाना अनिवार्य कर दिया था और यह गीत वर्षों तक गाया जाता रहा। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के राष्ट्रभक्तों के मन में भी अपना गीत बनाने का विचार हुआ। ‘जन-गण-मन’ का इतिहास रोचक है। अधिकृत जानकारी के अनुसार भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता व बंगाली साहित्यकार व कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने मूल गीत बंगाली भाषा में ही लिखा था और पहली बार यह गीत वर्ष 1905 में बंगाल की तत्त्वबोधिनी पत्रिका के एक अंक में प्रकाशित हुआ था। उस वक्त मूल गीत में पांच छंद थे।

वर्ष 1911 में टैगोर ने राष्ट्रगान के गीत और संगीत को रचा था और इसको पहली बार कलकत्ता में 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बड़ी बैठक में सार्वजनिक तौर पर गाया गया था। इस गीत में भारत की राष्ट्रीय विरासत पर प्रकाश डाला गया, साथ यही यह गीत अपने देश के प्रति वफादारी को प्रदर्शित करता है। ‘जन गण मन’ भारत के इतिहास, परंपराओं और मिश्रित संस्कृति को दर्शाता है। टैगोर ने इस बंगाली गीत की एक अंग्रेज़ी व्याख्या 28 फरवरी, 1919 को लिखी और इसका शीर्षक 'द मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया' रखा। भारत के संविधान ने 24 जनवरी, 1950 (भारत के 26 वें गणतंत्र दिवस से पहले) को ‘जन-गण-मन’ को राष्ट्रीय गान घोषित किया। इसके बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के विशेष अनुरोध पर अंग्रेजी संगीतकार हर्बट मुरिल्ल ने इसे ऑर्केस्ट्रा की धुनों पर भी गाया था।

पूरे गान में पांच पद हैं। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सैकेंड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक जया हे’ से शुरू होता है और ‘जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे’ पर समाप्त होता है। राष्ट्रगान बेहद सरल और याद रखने में आसान है। समीक्षक मानते हैं कि भारत का राष्ट्रगान बहुत प्रेरणादायक है और यह लोगों में देशभक्ति की भावना जगाता है। आपको बता दें कि टैगोर के इस गीत का आबिद अली ने हिंदी और उर्दू में अनुवाद किया था। बांग्ला में लिखा गया राष्ट्रगान का मूल पाठ संस्कृत भाषा में है। अनुवादित संस्करण हर किसी के लिए आसानी से समझ में आने योग्य है; हालाँकि इसका उच्चारण विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होता है और भारत में विभिन्न राष्ट्रीय अवसरों पर गाया जाता है। भारत में हमेशा से राजकीय, राजनैतिक अवसरों के अलावा अन्य कार्यक्रमों में भी राष्ट्रगान गाने की परंपरा रही है।

भारत का राष्ट्रगान

जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्रविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा।

जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे।

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