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श्रीराम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण 1 जून से शुरू, अब तक क्या-क्या हो चुका है?

पहली जून को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के मृगशिरा नक्षत्र व आनंद योग के शुभ मुहूर्त पर गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ राममंदिर के गर्भगृह के स्तंभ की पहली शिला रखेंगे। इस अवसर पर परिसर में ट्रस्टी सहित संत-धर्माचार्य भी मौजूद रहेंगे।

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि में बन रहे मंदिर के दर्शन कार्य लगातार प्रगति पर है। अब एक जून से भगवान रामलला के गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए उस दिन वैदिक ब्राह्मण सुबह 5 बजे से राम मंदिर परिसर में पूजन शुरू करेंगे। इस कार्य को अत्यंत शुभ बनाने के लिए आजकल वहां सुबह से शाम तक गर्भगृह स्थल पर 40 आचार्य पूजन कर रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष 2023 के अंत तक श्रीराम मंदिर को भक्तों को दर्शन करने के लिए खोल दिया जाएगा। वैसे मंदिर के पूरे परिसर का निर्माण कार्य 2025 तक पूरा हो जाएगा। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था।

गर्भगृह के निर्माण कार्य की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।

राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार पहली जून को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के मृगशिरा नक्षत्र व आनंद योग के शुभ मुहूर्त सुबह 10 से 10:15 बजे के मध्य गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ राममंदिर के गर्भगृह के स्तंभ की पहली शिला रखेंगे। इस अवसर पर परिसर में राममंदिर के ट्रस्टी, संघ के पदाधिकारियों सहित संत-धर्माचार्य व मंदिर आंदोलन में शामिल रहे विशिष्ट जन मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भगवान राम लला के गर्भगृह का तराशे गए पत्थरों से निर्माण कार्य शुरू होगा। उसके पहले प्रथम पत्थर का पूजन अर्चन किया जाएगा। पूजन अर्चन ठीक मुहूर्त के शुभ संयोग पर किया जाएगा।

उम्मीद है कि वर्ष 2023 के अंत तक श्रीराम मंदिर को भक्तों को दर्शन करने के लिए खोल दिया जाएगा।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए प्लिंथ (चबूतरा) निर्माण कार्य 1 सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है लेकिन रामलला के मंदिर निर्माण के लिए बनाए जा रहे गर्भगृह स्थल पर लगभग 5 लेयर ग्रेनाइट पत्थर की बिछाई जा चुकी है और यह संभावना है कि 1 जून तक 7 लेयर प्लिंथ की बिछा दी जाएगी। प्लिंथ बुनियाद से 21 मीटर ऊंची रहेगी इसी पत्थरों के ऊपर रामलला के गर्भगृह का निर्माण शुरू हो जाएगा। यह काम भी 1 जून से शुरू कर दिया जाएगा। मिर्जापुर के बलुआ पत्थर और उसके ऊपर ग्रेनाइट पत्थरों की कोटिंग करते हुए बुनियाद से 21 मीटर ऊंचा प्लिंथ बनाया जा रहा है। इस कार्य में लगभग 17,000 पत्थर लगाए जाने हैं जिसमें अब तक 6,500 पत्थर लगाए जा चुके हैं। इस चबूतरे का निर्माण अगस्त माह तक होने की संभावना है लेकिन इस दौरान तराशे गए पत्थरों से मंदिर निर्माण का कार्य भी प्रारंभ कर दिया जाएगा और प्रथम चरण में गर्भगृह स्थल के आसपास 21 फुट ऊंचा प्लिंथ का निर्माण भी शुरू कर दिया जाएगा।

मंदिर के पूरे परिसर का निर्माण कार्य 2025 तक पूरा हो जाएगा। 

मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में 12 जून को विशेष संत सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है। सम्मेनल में दिव्य राम मंदिर के विग्रह की प्रतिष्ठा पर विचार-विमर्श होगा। राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद यह पहला अवसर आया है जब देश भर के मूर्धन्य धर्माचार्य एक मंच पर एकत्र होंगे। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते दो साल पहले लगाए गए लॉकडाउन के चलते अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई सार्वजनिक समारोह नहीं हो सका था। अब दो साल बाद समारोह उस समय होने जा रहा है जबकि रामलला के मंदिर की नींव डाली जा चुकी है और मूल मंदिर के स्ट्रक्चर का पहला पत्थर भी एक जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के हाथों रखा जा चुका होगा।

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था।

माना जा रहा है कि वर्ष 2023 के अंत तक श्रीराम मंदिर को भक्तों को दर्शन करने के लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर के पूरे परिसर का निर्माण कार्य 2025 तक पूरा हो जाएगा। यह मंदिर भव्यतम होगा और पूरी तरह से पत्थरों से ही बनेगा। मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। प्रत्येक मंज़िल की ऊंचाई 20 फीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट है। भूतल से 16.5  फ़ीट ऊंचाई मंदिर का फ़र्श बनेगा और भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी। धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा (मिट्टी) परीक्षण तथा भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है। गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मन्दिर का भार सहन कर सकने वाली मज़बूत व टिकाऊ नींव बनाई गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन कर निर्माण कार्य की शुरुआत की थी।

श्रीराम मंदिर का निर्माण भारत के भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आए एक निर्णय के बाद शुरू किया गया है। न्यायालन ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सरकार को विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण और मस्जिद के लिए अलग से भूमि देने के निर्देश दिए थे। शीर्ष कोर्ट के फैसले के बाद सैकड़ों सालों बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया। कोर्ट के निर्णय के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन कर निर्माण कार्य की शुरुआत की। फिलहाल मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस मंदिर के निर्माण का कार्य लार्सन एंड टर्बो कंपनी कर रही है। इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट ने टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स को सलाहकार के रूप में चुना है।

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