सितार वादक अनुष्का शंकर 3 अक्टूबर को कनेक्टिकट के स्टोर्स से उत्तरी अमेरिका के 15 शहरों का दौरा शुरू कर रही हैं। इसके साथ ही वह अपनी पहला मिनी एल्बम 'फॉरएवर, फॉर नाउ' भी रिलीज कर रही हैं।
ऐसे में न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक साक्षात्कार में शंकर ने अपने दिवंगत पिता की यादों के साथ-साथ अपनी म्यूजिक ट्रीलॉजी की प्रेरणा पर भी चर्चा की जिसकी कल्पना उन्होंने कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद की थी। नए एल्बम का पहला गाना 'डेड्रीमिंग' 6 अक्टूबर को रिलीज किया जाएगा।
साक्षात्कार के कुछ अंश:
न्यू इंडिया अब्रॉड: मैंने आपको और आपके दिवंगत पिता को साल 2009 में सैन फ्रांसिस्को में डेविस सिम्फनी हॉल में एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन करते देखा था। क्या आप अब भी अपने पिता से प्रेरणा लेती हैं? उन्होंने आपके संगीत कैरियर की गति को कैसे प्रभावित किया है?
अनुष्का शंकर: वह मुझे आज भी प्रभावित करते हैं। मैं कभी-कभी किसी चीज को दोबारा सीखने या उस पर पुनर्विचार करने के लिए उनके काम पर गौर करती हूं। उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के जरिए मैं उनके जैसा अपना वर्जन बनाने की कोशिश करती हूं। वह शुरू से ही मेरे शिक्षक थे। संगीत बनाने की उनकी शैली, जिस तरह से उन्होंने मुझे सिखाया, वह सब मेरे अपने संगीत निर्माण में अंतर्निहित है। मेरा बनाया गया संगीत उनकी ही सीख है।
न्यू इंडिया अब्रॉड: अगले महीने अपने उत्तरी अमेरिकी दौरे से पहले आपने 'फॉरएवर, फॉर नाउ' रिलीज किया है जिसे आप ट्रीलॉजी में से पहली मिनी एल्बम के रूप में वर्णित करती हैं। क्या आप इसके पीछे की वजह को बताना चाहेंगी?
अनुष्का शंकर: मैं पिछले कुछ समय से संगीत बना रही हूं और मैं पारंपरिक एल्बम बनाने की आदी हूं जो कम से कम एक घंटे की हो। और मैं ऐसी एल्बमों के बारे में हमेशा बहुत विषयगत ढंग से सोचती हूं। ऐसी एल्बम के लिए मेरे पास कोई व्यापक विषय होता है या फिर कोई कहानी जिसे एक साथ पिरोया जा सकता है। मेरे ऐसे गाने कभी भी रेंडम नहीं होते।
मैं महामारी और महामारी के बाद की अवधि के दौरान यह जानने के लिए संघर्ष कर रही थी कि मैं अपनी अगली एल्बम के लिए क्या बनाऊं। कोई ऐसी चीज जो किसी स्नैपशॉट की तरह हो और जिसे मैं जल्द से जल्द लोगों के साथ साझा कर सकूं। संगीत की दृष्टि से कहूं तो क्रिएटिविटी के लिए मुझे न ज्यादा विश्लेषण करना चाहिए था, न ज्यादा सोचना चाहिए था। बस कलाकारों के साथ एक कैमरे में रहकर म्यूजिक बनाना चाहिए था। ऐसे में मैंने खुद को उत्साहित पाया जब मैंने उभरती हुई कहानियों पर म्यूजिक बनाने का फैसला किया। हालांकि ये भी अपने आप में अजीब स्थिति है क्योंकि मुझे अभी तक पता नहीं है कि चैप्टर 3 में क्या होगा।
न्यू इंडिया अब्रॉड: नए एल्बम का पहला गाना 'डेड्रीमिंग' एक कर्नाटक लोरी (बच्चों को सुलाने के लिए) से लिया गया है। क्या आप हमें इसके बारे में और ज्यादा बता सकती हैं?
अनुष्का शंकर: जब मैं छोटी थी उस वक्त मेरी मां, मेरी दादी यह गाना गाती थी। यह दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय है। मुझे यह गाना उस वक्त याद आया जब मैं एक बच्चे के साथ थी। हां ये हो सकता है कि मैं इस गाने को बचपन से जानती हूं इस वजह से मुझे याद आया। लेकिन मैंने इसे कभी सितार पर नहीं बजाया है। इस संगीत को सितार पर आजमाना मेरे लिए बहुत दिलचस्प था।
इस लोरी को वास्तविक रूप देने के साथ-साथ इसे धीमी गति में बनाने से लेकर, इसे पियानो के साथ पुनर्व्यवस्थित करने और इसमें नया एहसास देने का विचार मुझे काफी पसंद आया था। हालांकि एल्बम के चैप्टर वन के अन्य सभी गाने पूरी तरह से मौलिक हैं। वे किसी और चीज से प्रेरित नहीं हैं। लेकिन हां ये गर्मियों की आलसी दोपहर के साथ फिट रहेंगे।
'फॉरएवर फॉर नाउ' एक विचार था। जैसे हम फॉरएवर कहते हैं तब भी हम नहीं जानते कि वह चीज हमेशा रहेगी। जिसे हम फॉरएवर कहते हैं हो सकता है कि वह अभी के लिए ही हो। जो कुछ भी हम हमेशा के लिए सोचते हैं वह भी निश्चित वक्त के लिए होता है। वास्तव में शायद ही कोई चीज हमेशा के लिए यानी फॉरएवर होती है। ऐसे में हमें हर चीज की बहुमूल्यता की सराहना करनी होती है क्योंकि हम वास्तव में उसे हमेशा के लिए नहीं रख सकते। हमारी म्यूजिक की थीम इसी विचार से प्रेरित थी जो महामारी के अनुभव से सामने आई थी।
न्यू इंडिया अब्रॉड: आपका उत्तरी अमेरिकी दौरा, इस बार आप अपने दर्शकों के लिए क्या लाने की उम्मीद करते हैं?
अनुष्का शंकर: इस वर्ष मैं संगीतकारों के एक अविश्वसनीय रूप से बहुमुखी और गतिशील समूह के साथ दौरा कर रही हूं जो मेरी तरह लय और गतिशीलता के साथ यात्रा कर सकते हैं। हम एक दूसरे को फॉलो करते हैं, म्यूजिक बनाते हैं और यह काम वास्तव में रोमांचक होता है। वे सभी दिलचस्प संगीतकार हैं। अपनी यात्रा के दौरान चैप्टर वन के कुछ संगीत होने के साथ-साथ बहुत सारी तात्कालिक और पुरानी चीजों के पुनर्व्याख्या किए गए संस्करण भी हैं। तो हां आप कह सकते हैं कि इसमें हर चीज का थोड़ा-थोड़ा सब कुछ है।