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भारत का 1000 वर्ष पुराना धार्मिक स्थल, पर्यटकों के लिए खुलेगा जल्द

साल 1927 से यहां बौद्ध और हिंदू संप्रदायों की कई छवियां और संरचनाएं खोजी गई हैं। इस क्षेत्र में पाई गई कुछ चीजें 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच की हैं। महायान बौद्ध धर्म के दलाई लामा ने 2007 में इस स्थल का दौरा किया था।

Photo : Twitter @Buddhistdoor

पर्यटकों को लुभाने के लिए भारत के त्रिपुरा राज्य की सरकार पिलक नाम के 1000 साल पुराने पुरातात्विक स्थल को विकसित करने जा रही है। पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों में से एक त्रिपुरा दो अन्य स्थानों के साथ-साथ इस स्थान को एक ऐतिहासिक पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने के लिए कदम उठा रहा है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 1960 के दशक की शुरुआत में इस स्थल पर खुदाई की थी जब ईंटों से बने स्तूप पाए गए थे। Photo : gosahin.com/

क्या है पिलक की खासियत

पिलक नाम का यह स्थल 1999 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की निगरानी में है। पिलक त्रिपुरा के जोलाईबारी क्षेत्र में स्थित है और अगरतला से लगभग 100 किमी दूर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साइट पर रोजाना करीब 200 लोग आते हैं। साल 1927 से यहां बौद्ध और हिंदू संप्रदायों की कई छवियां और संरचनाएं खोजी गई हैं। इस क्षेत्र में पाई गई कुछ चीजें 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच की हैं।

जिस पर्यटन सर्किट पर राज्य सरकार काम करने जा रही है वह अगरतला से शुरू होता है और पिलक को उदयपुर से जोड़ता है जो राज्य का एक और आश्चर्यजनक मंदिर शहर है। यह स्थान त्रिपुरेश्वरी काली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जो भारत के शक्तिपीठों में से एक है।

महायान बौद्ध धर्म के दलाई लामा ने 2007 में इस स्थल का दौरा किया था। Photo : gosahin.com/

दलाई लामा भी जा चुके हैं पिलक

वीकिपीडिया पर मिली जानकारी के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 1960 के दशक की शुरुआत में इस स्थल पर खुदाई की थी जब ईंटों से बने स्तूप पाए गए थे। एएसआई द्वारा हाल की जांच जोलाईबाड़ी और अन्य टीलों पर की गई थी जहां बुद्ध की मूर्तियां और महायान बौद्ध धर्म की मूर्तियां मिली थीं। एएसआई ने 1999 से इस साइट को अपने कब्जे में ले लिया है और इसके रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और जापान से बौद्ध पर्यटक अक्सर इस स्थान पर आते हैं। महायान बौद्ध धर्म के दलाई लामा ने 2007 में इस स्थल का दौरा किया था।

क्या कहता है प्रशासन

त्रिपुरा राज्य पर्यटन विभाग के निदेशक टीके दास बताते हैं कि हमने एक पुरातात्विक पर्यटन सर्किट बनाया है जिसमें गोमती जिले में छबीमुरा और उदयपुर और दक्षिण त्रिपुरा जिले में पिलक शामिल हैं। पर्यटन सर्किट तीन साइटों को जोड़ने वाला एक पैकेज टूर है। इस स्थल की देखभाल 1999 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा की जा रही है।

राज्य पर्यटन विभाग के कार्यकारी अभियंता उत्तम पाल कहते हैं कि चूंकि पिलक को पुरातत्व स्थल घोषित किया गया है ऐसे में इसके 150 मीटर के भीतर कोई स्थायी संरचना नहीं बनाई जा सकती है। लेकिन प्रतिबंधित क्षेत्र के बाहर पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं बनाई गई हैं। आगंतुकों की संख्या उल्लेखनीय रूप से अच्छी है। राज्य सरकार ने साइट के पास जोलाईबारी में एक पर्यटक बंगला बनाया है।

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