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रहस्य-रोमांच से भरी हैं नेपाल की ये आसमानी गुफाएं, घूमने जरूर जाएं

ये मानव निर्मित गुफाएं खड़ी घाटी की दीवारों पर बनी हैं। जमीन से 155 फीट की ऊंचाई पर बनी ये गुफाएं दुनिया की सबसे बड़ी अर्कियोलॉजिकल मिस्ट्री कही जाती हैं। ऊंचे रेतीले पहाड़ पर बनी इन गुफाओं की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है।

नेपाल की मस्तांग गुफाएं (फोटो साभार सोशल मीडिया)

अगर आपको इतिहास में रुचि है और पुरातन इंसानी सभ्यताओं के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको नेपाल में स्काई केव्स यानी आसमानी गुफाओं का दौरा जरूर करना चाहिए। ये गुफाएं नेपाल के अपर मस्तांग इलाके में हैं। हाल ही में इन्हें फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

इन गुफाओं की संख्या 10 हजार से भी अधिक है। (फोटो साभार सोशल मीडिया)

नेपाल आने वाले पर्यटकों के बीच ये काफी प्रसिद्ध हैं। स्काई केव्स या मस्तांग के गुफा मंदिर काफी अनूठे हैं। ये मानव निर्मित गुफाएं खड़ी घाटी की दीवारों पर बनी हैं। जमीन से 155 फीट की ऊंचाई पर बनी ये गुफाएं दुनिया की सबसे बड़ी अर्कियोलॉजिकल मिस्ट्री कही जाती हैं। ऊंचे रेतीले पहाड़ पर बनी इन गुफाओं की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है। ये रेत के किसी विशाल महल की तरह नज़र आती हैं।

करीब दो दशक पहले पुरातत्वविदों ने अपर मस्तांग के समदज़ोंग क्षेत्र में आकाशीय गुफाओं में 20 से अधिक मानव अवशेषों का पता लगाया था। दिलचस्प बात यह है कि इन अवशेषों (हड्डियों) में कट के कई निशान थे, जो बौद्धों की दफनाने की परंपरा की तरह हैं। इनके अलावा यहां बौद्ध धर्म से संबंधित अवशेष और मूर्तियां भी मिली हैं।

माना जाता है कि ये अवशेष 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व से पहले के हैं। उस समय तक इलाके में बौद्ध धर्म का औपचारिक आगमन नहीं हुआ था। सरल शब्दों में बताएं तो ये ऐसे पुरातात्विक साक्ष्य हैं जो बताते हैं कि हिमालयी इलाके में बौद्ध धर्म कहीं पहले से मौजूद था। ये गुफाएं अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन गुफाओं का निर्माण किसने किया था। माना जाता है कि मस्तांग गुफाओं का निर्माण रहने के लिए नहीं किया गया था। इसके बजाय इनका संबंध धार्मिक रीति से लोगों को दफनाने से ज्यादा जुड़ा लगता है।

मस्तांग गुफाओं की यात्रा एक आकर्षक अनुभव देने वाली साबित हो सकती है। इससे आप एक ऐसी प्राचीन सभ्यता से रूबरू हो सकते हैं, जो हिमालय क्षेत्र में बौद्ध धर्म के आने से पहले फली-फूली थी। यहां आप हिमालयी क्षेत्र की प्राचीन वास्तुकला और कलात्मक विरासत को करीब से देख सकते हैं।

कैसे पहुंचें मस्तांग
मस्तांग दो हिस्सों में बंटा है, अपर मस्तांग और लोअर मस्तांग। यहां तक पहुंचने के लिए आपको पहले नेपाल के पोखरा पहुंचना पड़ेगा। वहां के लिए आपको काठमांडू से नेपाल ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की बसें मिल जाएंगी। यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जोमसोम है।

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