भारत के मुकुट कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की खूबसूरत वादियों के बीचो-बीच डल झील के पास एक महल है जो अनोखे वास्तुकला से पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेता है। धरती का जन्नत कश्मीर और इस जन्नत में परी महल, आपको सुनकर ऐसा तो नहीं लग रहा कि यहां परियां रहती हैं। अगर आप सोच रहे हैं तो अपनी दिमाग को थोड़ा आराम दीजिए क्योंकि यहां परियां नहीं रहतीं बल्कि इस महल के निर्माण के बाद जब इतिहासकारों और वैज्ञानिकों को दिखाया गया तो वे इतने प्रभावित हुए कि इसे परी महल नाम दे दिया गया। उसे मुगल काल के राजकुमार ने 16वीं सदी के मध्य में बनवाया था, जिन्हें युद्ध कौशल से ज्यादा कला में रुचि थी। हम बात कर रहे हैं मुगल शासक शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह की। वह शाहजहां के बड़े बेटे होने के नाते उनके उत्तराधिकारी थे लेकिन उन्हें छोटे भाई औरंगजेब के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी थी। उनका ज्यादातर वक्त अध्ययन और आध्यात्म में ही बीता।

सात मंजिला अनोखा गार्डन
यह एक सात मंजिला बगीचा है जिसे 'सेवंथ टेरेस गार्डन' के नाम से भी जाना जाता है। जाबरवान पर्वत श्रृंखला पर बसा महल का गार्डन 122 मीटर लंबा और 62.5 मीटर चौड़ा है। लेकिन मुगलों की वास्तुशैली की एक कमी इसमें खलती है, वह है पानी के स्रोत का न होना। यहां विशाल बगीचा तो बना दिया गया और विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लगाए गए लेकिन जलाशय नहीं बनाया गया जो कि मुगलों के महलों में आमतौर पर होता था। आधुनिक समय में इसमें पानी की टंकी बनाई गई और पाइप के जरिए पौधों को सींचा जाता है।
यह महल पर्यटकों के बीच इसलिए लिए भी मशहूर हैं क्योंकि यहां से पूरे श्रीनगर शहर को देखा जा सकता है। चूँकि यह महल शाहजहां के शासनकाल में तैयार किया गया था तो इसमें इस्लामिक वास्तुकला का नजारा देखने को मिलता है। यह महल चश्मा शाही बाग (गार्डन) से पांच मिनट की दूरी पर है, जिसे शाहजहां ने अपने बेटे को तोहफे में दिया था।

जब दारा शिकोह ने महल को बना दियाा पुस्तकालय
दारा शिकोह को लिखने-पढ़ने और आध्यात्म में काफी रुचि थी। सभी धर्मों का सम्मान करने वाले शिकोह ने आध्यात्मिक पुस्तक मज्म-उल-बहरीन की रचना की थी। उनके व्यक्तित्व की यह छाप परी महल पर दिखाई देती है। इस महल को उन्होंने अपने शिक्षक के लिए बनाया था और बाद उसे पुस्तकालय औरआध्यात्म के केंद्र में बदल दिया। एक समय ऐसा भी यहां जब अपनी विशेष संरचना के कारण यह खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान का केंद्र बन गयाा।

बहुत आसान है महल तक पहुंचने का रास्ता
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह डल झील करीब है तो न तो यहां पहुंचना मुश्किल है और न ही इसके लिए अलग से तैयारी की जरूरत है। श्रीनगर शहर का भ्रमण करते हुए आप इसके चक्कर लगा सकते हैं। हां जो बात ध्यान रखने लायक है वह है समय-सारणी। महल सुबह 9.30 से शाम 7.30 बजे तक खुला रहता है और 10 रुपये के टिकट के सात आपकी महल में एंट्री हो जाती है।
अगर आप भारत से बाहर रह रहे हों या भारत में दोनों ही परिस्थिति में आप श्रीनगर के शेख-उल-आलम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे उतरने के बाद ही महल तक जा सकेंगे। हवाईअड्डे से महल की दूरी 24 किलोमीटर है।