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प्यार से समझा देंगे... एरिक गार्सेटी के CAA विरोध पर बोले भारतीय विदेश मंत्री

एरिक गार्सेटी ने साल 2021 में मानवाधिकारों को लेकर भारत पर सवाल उठाए थें। मोदी सरकार द्वारा पेश नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा था कि वह इस मसले को उठाएंगे। अब इस पर भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने जवाब दिया है।

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फाइल फोटो, साभार सोशल मीडिया)

एरिक गार्सेटी जल्द ही बतौर अमेरिकी राजदूत भारत जाने वाले हैं। वह कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी सरकार को असहज करने वाले कुछ बयान भी दे चुके हैं। अब भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से एक कार्यक्रम में जब एरिक गार्सेटी के इन बयानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने दिलचस्प जवाब दिया। जयशंकर ने हंसते हुए कहा, उन्हें आने दीजिए, प्यार से समझा देंगे।

दरअसल लॉस एंजिलिस के मेयर रह चुके एरिक गार्सेटी साल 2021 में राजदूत के रूप में अपनी पुष्टि के लिए हुई सुनवाई के दौरान मानवाधिकारों को लेकर भारत पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि वह इस कानून के मसले को सक्रियता के साथ उठाएंगे। गार्सेटी के इस बयान का भारत में काफी विरोध हुआ था।

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से शनिवार को एक कार्यक्रम में एरिक गार्सेटी के इसी विवादित बयान का हवाला देते हुए पूछा गया था कि वह गार्सेटी के इस रुख से कैसे निपटेंगे। इस पर जयशंकर ने मजाकिया लहजे में मुस्कुराते हुए कहा कि उन्हें आने दीजिए, प्यार से समझा देंगे। सीएए को लेकर जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा कि कॉमन सेंस को पॉलिटिकल करेक्टनेस का गुलाम नहीं होना चाहिए।

भारतीय विदेश मंत्री ने लॉटेनबर्ग संशोधन और स्पेक्टर संसोधन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि यूरोप में भी ऐसी नीतियां चलन में हैं जो कुछ विशेष धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए अमेरिकी नागरिकता प्रक्रिया में तेजी लाने की पहल करती हैं।

बता दें कि एरिक गार्सेटी को राष्ट्रपति जो बाइडेन का करीबी माना जाता है। बाइडेन ने आते ही गार्सेटी को भारत में अमेरिकी राजदूत नॉमिनेट कर दिया था लेकिन संसद ने उसे खारिज कर दिया था। इस साल जनवरी में बाइडेन ने दोबारा से गार्सेटी को नामित किया, जिस पर बुधवार 15 मार्च को सीनेट में वोटिंग हुई थी। इसमें गार्सेटी के नामांकन के पक्ष में 52 और विपक्ष में 42 वोट पड़े थे। भारत में अमेरिकी राजदूत का पद दो साल से खाली पड़ा था।

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