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सीखने की कोई उम्र नहीं! 80 साल की उम्र में मलयालम सीख रहे पंजाबी त्रिलोचन सिंह

साल 1998 में एक विवाह कार्यक्रम में शरीक होने के लिए त्रिलोचन सिंह कोझिकोड गए थे, यहीं मलयालम से उनका प्रेम शुरू हुआ। उन्होंने यह भाषा सीखने की शुरुआत तब की जब दिल्ली में मलयालम डायस्पोरा के लिए 10 साल का कोर्स मलयालम मिशन शुरू हुआ।

कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती और 80 साल के त्रिलोचन सिंह इसे बिल्कुल सही साबित कर रहे हैं। त्रिलोचन सिंह एक पंजाबी हैं और उम्र के इस पड़ाव पर वह मलयालम भाषा सीख रहे हैं। सिंह का जन्म लाहौर में हुआ था और 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वह दिल्ली आ गए थे।

साल 1998 में वह एक विवाह कार्यक्रम में शरीक होने कोझिकोड गए थे। यहीं मलयालम से उनका प्रेम शुरू हुआ।

त्रिलोचन इस समय वह भारत की राजधानी दिल्ली के मयूर विहार में पूर्वी दिल्ली कॉलोनी में रहते हैं। वह दक्षिण भारतीय भाषा मलयालम के अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए क्लास ले रहे हैं। वह बेहद गर्व के साथ कहते हैं 'एनिक मलयालम इष्टमान' जिसका मतलब होता है कि 'मैं मलयालम भाषा से प्रेम करता हूं'।

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