दीपक पाटिल और उनकी पत्नी शैलजा पिछले चार साल से जर्मनी के बर्लिन में महाराष्ट्र के भोजन का स्वाद-सुगंध फैला रहे हैं। दोनों यहां पर 'स्वादिष्ट' नामक रेस्तरां का संचालन करते हैं जहां स्वादिष्ट सेव पूरी दही पूरी से लेकर दाबेली और मटकीची उसल जैसे लजीज व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं।

इस रेस्तरां की स्थापना औपचारिक रूप से साल 2018 में हुई थी और रोजाना यहां लगभग 200 ग्राहक आते हैं। 44 वर्षीय दीपक बताते हैं कि वीकेंड पर हमारे रेस्तरां के बाहर ग्राहकों की लंबी लाइन लग जाती है। इससे हमें और अधिक मेहनत से काम करने की प्रेरणा मिलती है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर दीपक को यह काम करने का विचार लगभग 25 साल पहले आया था जब वह पुणे के एक प्रसिद्ध कैफे में गए थे। वह कहते हैं कि वहां खाने से लेकर सेवा तक सब कुछ अच्छा था लेकिन जब मैंने बिल देखा तो मुझे महसूस हुआ कि वहां एक कप कॉफी कितनी महंगी थी। इसके बाद वह जब भी ऐसी कोई जगह देखते जहां कैफे खोला जा सकता था वह उसके बारे में जानकारी करते थे। दीपक कहते हैं कि मैं ऐसी जगह बनाना चाहता था जो साफ-सुथरी हो और जहां अच्छा खाना मिलता हो। इसके साथ ही साथ वहां आने पर लोगों की जेब पर बहुत असर न पड़े।

बता दें कि दीपक सॉफ्टवेयर पेशेवर के तौर पर अपनी पत्नी के साथ साल 2010 में बर्लिन गए थे। वह कहते हैं कि शुरुआत में हम एक-दूसरे को समझाते रहते थे कि यह कुछ महीनों की बात है और प्रोजेक्ट खत्म होते ही हम भारत वापस जाएंगे। लेकिन एक प्रोजेक्ट खत्म होता तो दूसरा आ जाता। तीन महीने के लिए बर्लिन गए दीपक और शैलजा को अब वहां दो दशक का समय हो गया है। जब शैलजा गर्भवती थीं और भारतीय भोजन खाना चाहती थीं तब उन्हें समझ आया कि वहां पर कोई अच्छा भारतीय रेस्तरां ही नहीं है। इसी के बाद उनके मन में फिर से रेस्तरां शुरू करने का ख्याल आया।
पहले बच्चे के जन्म के बाद दीपक ने शैलजा को खाने के ऑर्डर लेने के लिए प्रोत्साहित किया। दीपक कहते हैं कि शैलजा शानदार खाना बनाती हैं और कई लोगों को जल्द ही इसका अहसास हुआ। हमने अपने घर की रसोई से शुरुआत की। साल 2010 में दोनों ने घर से ही कैटरिंग बिजनेस शुरू किया था। हालांकि, 2012 में दोनों ने भारत लौटने का फैसला किया था। उन्होंने अगले तीन साल पुणे में गुजारे। दीपक कहते हैं कि हमने यहां रहने और काम करने की कोशिश की लेकिन हमने महसूस किया कि जर्मनी में हम एक लय में आ गए थे। इसके बाद 2016 में दोनों ने फिर से जर्मनी जाने का फैसला लिया।
बर्लिन पहुंचने के साथ ही उनके दिमाग में रेस्तरां शुरू करने का विचार आया। दो साल की मेहनत और रिसर्च के बाद जुलाई 2018 में उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ 'स्वादिष्ट' की शुरुआत की। दीपक कहते हैं कि जब हमने काम शुरू किया था उस समय बर्लिन में 500 से अधिक भारतीय रेस्तरां थे। आज यह रेस्तरां वहां रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की पसंद बना हुआ है। ताजा और स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाने के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। अगर आप भी बर्लिन की यात्रा करने जा रहे हैं तो इस रेस्तरां का दौरा आपको जरूर करना चाहिए।