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जर्मनी क्यों बन रहा भारतीय छात्रों का गढ़, जानें ऐसा क्या खास है वहां

भारतीय विद्यार्थियों के लिए पिछले दो दशकों से यूएस, कनाडा और यूके पसंदीदा एजुकेशन हब रहे हैं लेकिन वर्ष 2023 में उनकी पसंद बदलती दिख रही है। भारतीय छात्र अब जर्मनी को तवज्जो दे रहे हैं।

जर्मनी की म्युनिख यूनिवर्सिटी (साभार सोशल मीडिया)

बेहतरीन शिक्षा के लिए दुनिया भर के छात्र यूरोपीय देशों का रुख करते हैं। जर्मनी भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बेहतरीन ठिकाना है। चाहे कम ट्यूशन फीस हो, सुरक्षित वातावरण हो, सामाजिक माहौल हो या अनुकूल वीजा नियम, पिछले दो दशकों से यूएस, कनाडा और यूके भारतीय विद्यार्थियों के लिए पसंदीदा एजुकेशन हब रहे हैं। हालांकि 2023 में भारतीय विद्यार्थियों की पसंद बदल गई है। भारतीय छात्र अब जर्मनी के विश्वविद्यालयों में पढ़ना ज्यादा पसंद करने लगें हैं। आइए जानते हैं इसकी वजह।

जर्मनी में एमबीबीएस करने के लिए काफी संख्या में भारतीय छात्राएं भी जा रही हैं (साभार सोशल मीडिया)

टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, मेडिसिन, डेंटिस्ट्री, लॉ की पढ़ाई करने के लिए जर्मनी में कई अच्छे इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटीज हैं। इसके अलावा न सिर्फ सैद्धांतिक बल्कि प्रायौगिक शिक्षा प्रणाली भी अच्छी है, जिससे नौकरी मिलने में छात्रों को परेशानी नहीं होती है। इस तरह से जर्मन यूनिवर्सिटीज छात्रों के सपनों को उड़ान देने में मदद करती हैं।

विदेश में पढ़ाई का सबसे अहम पहलू होता है, खर्च। विदेशी शिक्षण संस्थानों में ट्यूशन फीस ज्यादा होती है। लेकिन जर्मनी की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज कोई ट्यूशन फीस नहीं वसूलती। वह सिर्फ सेमेस्टर फीस लेती हैं। वह भी 65 यूरो से 240 यूरो (करीब 5,700 रुपये से 21,000 रुपये) प्रति सेमेस्टर। दूसरे शब्दों में कहें तो यूके, यूएस और कनाडा की तुलना में जर्मनी में पढ़ाई सस्ती है।

इसके अलावा जब तक विद्यार्थी अपनी डिग्री पूरी करते हैं, उन्हें कमाई के कई रास्ते मिल जाते हैं। जर्मनी में बड़ा जॉब मार्केट है। मेधावी छात्रों को इतनी छात्रवृत्ति मिल जाती है कि आधे से ज्यादा पढ़ाई का खर्च निकल आता है। जर्मनी में कई विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देते हैं।

इसके अलावा जर्मनी की सरकार भी स्टूडेंट को रोजगार के विकल्प देती है। ‘वर्किंग स्टूडेंट पॉजिशंस’ योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी पढ़ाई का खर्च उठा सकते हैं। सरकार अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए हफ्ते में 20 घंटे तक के काम का अवसर देती है।

अधिकतर देशों में विदेशी विद्यार्थियों को डिग्री पूरी करने के बाद वहां रहने में वीजा की मुश्किलों से जूझना होता है। कुछ महीनों तक नौकरी नहीं मिलती तो स्वदेश लौटने पर मजबूर होना पड़ता है। लेकिन जर्मनी में पढ़ाई पूरी होने के बाद वीजा की अवधि 18 महीने तक बढ़ाई जा सकती है ताकि वह नौकरी तलाश सकें। इस तरह कई खूबियां हैं, जिनसे जर्मनी विदेशी छात्रों के लिए शिक्षा का गढ़ बन गया है।

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