ब्रिटिश शासकों के अलावा कई देश भी मान रहे थे कि भारत को अगर आजाद कर दिया गया तो उसका भविष्य गहरे अंधकार में डूबने-उतराने लगेगा। उनका दावा था कि पाकिस्तान से अलग होने के बाद भी भारत एक नहीं रह पाएगा और अंग्रेजों के शासन से पहले जो सूबे आजाद थे, वे फिर से आजाद हो जाएंगे। इन देशों को यह भी लगता था कि अंग्रेजी शासनकाल में भारत ने जितनी ‘तरक्की’ की है, वह भी गर्त में चली जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आजादी के 76 सालों में भारत ने जो प्रगति की और देशवासियों की तरक्की की लिए जो योजनाएं चलाई, उससे पूरा विश्व हतप्रभ है। इतने कम सालों में भारत का विकास वाकई हैरानी से भरा हुआ है। अब तो हालात यह हो चले हैं कि पूरी दुनिया भारत की ताकत और उसकी कूटनीति का लोहा मानने लगी है। कुछ ऐसी उपलब्धियों की जानकारी हम आपको देंगे, जिसने वाकई में भारत की इमेज में चार चांद लगा दिए हैं।
आपको याद होगा कि जब भारत को आजाद करने की प्रक्रिया चल रही थी, उस दौरान ब्रिटेन के प्रधानंत्री व विश्व इतिहास के सबसे प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक विंस्टन चर्चिल दावा कर रहे थे कि आजाद भारत एक नहीं रह पाएगा। वह भारतीय नेताओं व जनता की क्षमताओं पर सवाल खड़े कर रहे थे। तब उनका कहना था कि अगर भारत को आजादी दे दी गई तो इस देश की सत्ता बदमाशों और लुटेरों के हाथों में चली जाएगी। उनका कहना था कि सभी भारतीय नेता कम क्षमता वाले हैं और वे सत्ता के लिए आपस में लड़ेंगे और एक दिन आएगा जब भारत में हवा और पानी पर भी टैक्स लगेगा। लेकिन उनका दावा नितांत झूठा व फरेबी निकला। आजाद भारत में देश के नेताओं, आलाअफसरों ने जनता ने मिलकर ऐसा ताना-बाना बुना कि पूरा विश्व आज भारत की क्षमताओं पर यकीन कर रहा है। यह ठीक है कि भारत ने आजादी के बाद तीन युद्ध झेले, गरीबी ने उसकी कमर झुका दी, इमरजेंसी का दौर भी आया और हजारों दंगों ने उसे बेहद आर्थिक हानि पहुचाई, लेकिन धीरे-धीरे भारत ने इन सबसे पार पा लिया।
संविधान बना और पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की गईं
इन सबके पीछे कारण यह रहा कि लाख मुसीबतों के बीच भारत ने ऐसी योजनाओं को अंजाम दिया, जिसने इन दुश्वारियों से पार पा लिया और देश का नाम भी ऊंचा कर दिया। आज भारत की उपलब्धियों की बात करें तो कृषि क्षेत्र से लेकर, परमाणु और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक, आम आदमी की पहुंच के लायक स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर, विश्व-स्तरीय शिक्षण संस्थाओं तक, मेडिकल साइंस से लेकर आयुर्वेद और बायोटेक्नोलॉजी तक, यहां तक कि आईटी पॉवर तक में भारत लगातार मजबूत हो रहा है। इसी का परिणाम यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। अगर हम 76 साल की उपलब्धियों की बात करें तो आजादी के तुरंत बाद भारत ने 26 जनवरी, 1950 को अपना बनाया संविधान लागू किया। भारत एक गणराज्य बना। संविधान पर ही उसका लोकतंत्र टिका है। इसके बाद गरीबों व किसानों तक विकास पहुंचाने के लिए भारत ने पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की। पहली पंचवर्षीय योजना को 1951 में संसद में पेश किया गया था। लगाता आती रही इन पंचवर्षीय योजनओं ने भारत को मजबूत आधार प्रदान किया।
हरित क्रांति और सेटेलाइट के लिए इसरो की स्थापना
भारत में देश में मजबूत लोकतंत्र स्थापित करने के लिए चुनावों की शुरुआत की तो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए 1967-68 से लेकर 1977-78 के बीच हरित क्रांति पर फोकस किया। हरित क्रांति की वजह से देश में अनाज के पैदावार में जबर्दस्त इजाफा हुआ। आज भारत के पास सरप्लस अनाज का भंडार रहता है। वह मित्र राष्ट्रों की मदद भी करता है। भारत का पहला रॉकेट 21 नवंबर, 1963 को तिरुवनंतपुरम के पास थुबां से लॉन्च हुआ था और इसके साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हो गई। इसके बाद वर्ष 1969 में इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान) ने अंतरिक्ष विकास व अंतरिक्ष विज्ञान में महत्वणपूर्ण कार्य किए। अब भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम चंद्रमा और मंगल मिशन पर फोकस कर रहा है। विशेष बात यह है कि इसरो ने अपने सेटेलाइट तो छोड़े ही, दुनिया भर के अनेकों सेटेलाइटों भी भारत से लॉन्च किया। अब पूरी दुनिया में इस कार्यक्रम में भारत का लोहा मान रही है।
श्वेत क्रांति भी तो परमाणु विस्फोट भी
भारत ने साथ साथ ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति) की शुरुआत 13 जनवरी, 1970 को शुरू की। जिसने दूध उत्पादन के क्षेत्र में भारत को जमीन से आसमान पर पहुंचा दिया। इस कार्यक्रम की सफलता का अंदाजा इसी से लगता है कि कार्यक्रम की शुरुआत में दूध उत्पादन के क्षेत्र में भारत जो 50वें पायदान पर था, वह सिर्फ दो दशक में ही दूध उत्पादन के मामले टॉप पर पहुंच गया। भारत ने 18 मई, 1974 को पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया। 24 साल बाद 11 और 13 मई, 1998 को पोखरण में भी परमाणु परीक्षण किए गए। इन परीक्षणों के साथ ही देश ने दुनिया में आधिकारिक रूप से परमाणु शक्ति का दर्ज हासिल किया। पिछले 10 सालों की बात करें तो देश की योजनाओं को तेजी से अमली जामा पहनाने के लिए भारत ने पूर्व के योजना आयोग की विरासत के आधार पर जनवरी, 2015 में नीति आयोग बनाया। जिसने देश के विकास के लिए योजना-निर्माण और उसे लागू करने का तरीका ही पूरी तरह से बदल दिया है। यह आयोग एक पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक के रूप में काम करता है, जो योजनाओं में तेजी लाने के लिए रणनीति बनाता है। देश की टैक्स प्रणाली को सुचारू करने के लिए 1 जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था की शुरुआत हुई। इस व्यवस्था ने भारत में कर प्रणाली की विसंगतियों को काफी हद तक दूर किया और कर प्रणाली में समरूपता आने से आम जनता और कारोबारियों की कई तरह की उलझनें भी कम हुई।
जनधन योजना से लेकर उज्ज्वला योजना तक
इससे पहले वर्ष 2014 में बेहद खास जनधन योजना की शुरुआत की गई। इसका मकसद था कि सरकार की योजनाओं व राहतों को सीधे आम जन तक पहुंचाना, ताकि वह भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए। इसके तहत एक अभियान के तहत पूरे देशवासियों के बैंक खाते खोले गए। बीते साल लाभ उठाने वाले खाताधारकों की संख्या 45 करोड़ थी, जो अब बढ़कर करीब 50 करोड़ होने जा रही है। सरकार ने फरवरी 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि योजना शुरू की। इस योजना के तहत हर साल सरकार किसानों के बैंक खातों में 6,000 रुपये की राशि जमा करती है। इसका लाभ यह हुआ कि खेती के बारिश, सूखे की चपेट आने से किसानों को फौरी तौर पर आर्थिक मदद मिलने लगी। सरकार ने उज्ज्वला योजना भी चलाई, जिसके तहत लाखों महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस सिलैंडर वितरित किए ताकि वे चूल्हे के धुएं से छुटकारा पा सकें।