अमेरिका में वर्जीनिया स्थित प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञ भारतीय मूल के डॉ. वीके राजू को 40,000 से अधिक सर्जरी करने का श्रेय दिया जाता है। इनमें 28,000 बच्चों की सर्जरी भी शामिल है। गरीबी और चिकित्सा देखभाल के अभाव में लोग अंधेपन का शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी को खत्म करने के लिए डॉ. राजू ने सक्रिय रूप से और अथक प्रयास किए हैं।

डॉ. राजू को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के अवसर पर लंदन स्थित हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आयोजित एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम में प्रथम महिला चेरी ब्लेयर की ओर से सम्मानित किया गया था। यह कार्यक्रम लूम्बा फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। इसका नेतृत्व लॉर्ड राज लूम्बा ने विधवाओं को सशक्त बनाने के लिए दुनिया भर में मिशन कार्य के लिए लूम्बा फेलो के रूप में किया था। डॉ. राजू ब्लिट्ज के लंदन संस्करण के लॉन्च में भाग लेने के लिए लंदन गए थे।
डॉ. राजू आई फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के साथ-साथ भारत में आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में गौतमी आई इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष और संस्थापक हैं। वह वेस्ट वर्जीनिया विश्वविद्यालय में नेत्र विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में भी काम करते हैं। वह इंटरनेशनल ओकुलर सरफेस सोसाइटी के निदेशक और जीएसएल मेडिकल स्कूल में सहायक प्रोफेसर भी हैं।

अमेरिका स्थित आई फाउंडेशन ने 21 देशों में आंखों की बीमारियों से पीड़ित लोगों को अपनी सहायता प्रदान की है। डॉ. राजू का मानना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकित्सा पेशेवरों को कई भौतिक सुख-सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। केवल स्वैच्छिक सेवा ही बौद्धिक गरीबी की भावना को कम कर सकती है। वह पीड़ित लोगों की मदद के लिए अपना समय, पैसा और चिकित्सा विशेषज्ञता मुक्त रूप से देते हैं।
डॉ. राजू बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। वह आई फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के माध्यम से गरीब बच्चों को समय पर नेत्र सर्जरी चिकित्सा कराने में मदद करते हैं। पश्चिम वर्जीनिया में एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के साथ अपना खुद का व्यवसाय चलाते हैं। डॉ. राजू प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और विश्वविद्यालयों में विशेष कार्यक्रमों में व्याख्यान भी प्रस्तुत करते हैं।
डॉ. राजू ने अफगानिस्तान और भारत सहित लगभग दो दर्जन देशों में नेत्र चिकित्सालयों की मदद की है। सर्जरी की निगरानी करने और व्याख्यान देने के लिए वह अक्सर इन देशों की यात्रा करते हैं। उनके शिक्षण, अनुसंधान और मानवीय कार्यों के लिए उन्हें अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी की ओर से चार बार सम्मानित किया गया है।
आंध्र विश्वविद्यालय से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद डॉ. राजू नेत्र विज्ञान रेजीडेंसी और फेलोशिप पूरी करने के लिए लंदन विश्वविद्यालय गए। इसके साथ ही डॉ. राजू ने अमेरिका के लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी में सर्जरी फेलोशिप पूरी की। वह रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स और अमेरिकन कॉलेज ऑफ सर्जन्स के फेलो हैं।
एक बहुत ही कुशल और अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ होने के अलावा डॉ. राजू 1976 से अध्यापन से भी जुड़े रहे हैं। उन्हें मिले सभी सम्मान उन्हें उतना उत्साहित नहीं करते जितना कि आखों के इलाज के लिए उनकी तत्परता। वह अपनी सर्जरी चिकित्सा सेवाओं को स्वेच्छा से देने और नेत्र विज्ञान में प्रगति के लिए समय-समय पर भारत और अन्य विकासशील देशों की यात्रा करते हैं। उन्हें बच्चों में अंधेपन को रोकने के तरीकों को पढ़ाने और शोध करने में विशेष रुचि है।
डॉ. राजू बताते हैं कि एक बच्चे को दूसरा जीवन देने में बहुत कम लागत आती है। डॉ. राजू ने 1979 में खर्च वहन करने में लाचार लोगों की आंखों का इलाज के लिए आई फाउंडेशन ऑफ अमेरिका की शुरुआत की। फाउंडेशन ने 1993 में श्रीकिरण आई इंस्टीट्यूट बनाया जिसने 450,000 से अधिक मरीजों को चिकित्सा देखभाल प्रदान की है। 2006 में गौतमी आई इंस्टीट्यूट बनाया जो हजारों मरीजों की मदद करता है, जिनमें से कई बिना किसी लागत के हैं।
आई फाउंडेशन ऑफ अमेरिका वेबसाइट के अनुसार भारत में 13 मिलियन लोग अंधे हैं और इनमें से 81 प्रतिशत अंधापन मोतियाबिंद के कारण होता है। डॉ. राजू का काम बच्चों में अंधेपन की रोकथाम और नवीनतम तकनीक के साथ उनका शीघ्र समाधान करने पर केंद्रित है।
उनका कहना है कि सिर्फ 30 मिनट का ऑपरेशन 70 से अधिक वर्षों के अंधेपन को ठीक कर सकता है। हालांकि आई फाउंडेशन ऑफ अमेरिका सभी उम्र के लोगों की सेवा करता है, लेकिन बच्चों के लिए इसकी विशेष जिम्मेदारी है। उनका कहना है कि दृष्टिबाधित बच्चे पढ़ने और लिखने में असमर्थ होते हैं। वे अक्सर वयस्कों के रूप में अपना भरण-पोषण नहीं कर पाते हैं। इस तरह वे अपने परिवारों और समुदायों पर बोझ बन जाते हैं। डॉ. राजू का कहना है कि बीमारियों का जल्दी इलाज करके आंखों की गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।