कुछ लोग मानते हैं कि ब्रिटिश काल के दौरान भारत में बनाए गए घंटाघर वक्त देखने के लिए बनाए गए थे। लेकिन जब इन घंटाघर के डिजाइन और वास्तुकला पर गौर करें तो लगता है कि इन्हें निश्चित रूप से प्रमुख स्थल के तौर पर तैयार किया गया था। भारत में कई ऐसे घंटाघर हैं जो ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान बनाए गए थे। आइए इन पर गौर करते हैं।
राजाबाई क्लॉक टॉवर, मुंबई
मुंबई के किले क्षेत्र में स्थित राजाबाई क्लॉक टॉवर एक प्रभावशाली संरचना है जो मुंबई विश्वविद्यालय के परिसर के भीतर स्थित है। गॉथिक शैली में निर्मित यह 1878 में बनकर तैयार हुआ था। इस क्लॉक टॉवर के निर्माण की कुल लागत प्रेमचंद रॉयचंदद्वारा की गई थी। वही प्रेमचंद रॉयचंद जिन्होंने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना भी की थी। टॉवर का नाम भी उनकी मां के नाम पर रखा गया था।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CTC), मुंबई
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान विक्टोरिया टर्मिनस के रूप में जाना जाने वाला CTC यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यह मुंबई के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है। स्टेशन में एक शानदार क्लॉक टॉवर है जो जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सुसज्जित है।
जोधपुर क्लॉक टॉवर, जोधपुर
जोधपुर क्लॉक टॉवर को स्थानीयों के बीच घंटाघर के नाम से जाना जाता है। यह जोधपुर के भीड़भाड़ वाले सरदार बाजार में एक प्रमुख स्थल है। 19वीं शताब्दी के अंत में महाराजा सरदार सिंह द्वारा इस टॉवर को बनाया गया था। यह नीचे जीवंत बाजार के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
सिल्वर जुबली क्लॉक टॉवर, मैसूर
सिल्वर जुबली क्लॉक टॉवर को डोड्डापेट क्लॉक टॉवर के रूप में भी जाना जाता है। सिल्वर जुबली क्लॉक टॉवर मैसूर के वाणिज्यिक क्षेत्र देवराज मार्केट के केंद्र में स्थित है। इसका निर्माण 1927 में किंग जॉर्ज पंचम के शासनकाल की रजत जयंती मनाने के लिए किया गया था।
हुसैनाबाद क्लॉक टॉवर, लखनऊ
हुसैनाबाद क्लॉक टॉवर का निर्माण 19वीं शताब्दी में किया गया था और यह भारत में सबसे ऊंचे टावरों में से एक है। क्लॉक टॉवर लाल ईंट से बना है और इसमें जटिल डिजाइन में मेहराब (आर्च) और बालकनियां भी हैं। यह रूमी दरवाजा और बड़ा इमामबाड़ा के ठीक बगल में स्थित है।
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