न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के एक छात्र को प्रतिष्ठित रीजेनरॉन साइंस टैलेंट प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया है। नील मुद्गल ने अमेरिकी हाई स्कूलों के बीच होने वाली इस साइंस प्रतियोगिता को जीतकर 250,000 डॉलर (लगभग 20 करोड़ रुपये) का इनाम अपने नाम किया है।
17 वर्षीय नील मुद्गल ने आरएनए मोलिक्यूल की संरचना की भविष्यवाणी करने वाले कंप्यूटर का मॉडल बनाकर ये इनाम जीता है। यह मॉडल रोगों का शीघ्र इलाज करने में सहायता कर सकता है। इस प्रतियोगिता में भारतीय मूल की अंबिका ग्रोवर छठवें स्थान पर रही हैं। 17 वर्षीय अंबिका को 80,000 डॉलर का पुरस्कार मिला है। इनके अलावा 18 वर्षीय सिद्धू पचीपाला 50,000 डॉलर के पुरस्कार के साथ नौवें स्थान पर रहे।
इस साइंस टैलेंट सर्च प्रतियोगिता में लगभग हाई स्कूलों के लगभग 2,000 छात्रों ने हिस्सा लिया था जिनमें से 40 को फाइनल राउंड के लिए चुना गया। रीजेनरॉन फार्मास्युटिकल्स द्वारा प्रायोजित प्रतियोगिता का आयोजन करने वाली वाली सोसाइटी फॉर साइंस ने कहा है कि नील मुद्गल का कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी और बायो इन्फॉर्मेटिक्स प्रोजेक्ट कैंसर, ऑटोइम्यून और अन्य बीमारियों के लिए आसान इलाज विकसित करने में मददगार साबित हो सकता है।
अंबिका ग्रोवर ने दिमाग में खून के थक्कों को तोड़ने के लिए माइक्रोबबल इंजेक्शन तैयार किया है। इससे स्ट्रोक के मरीजों में खून का बहाव फिर से सामान्य करने में मदद मिल सकती है। वहीं सिद्धू पचीपाला ने एक मरीज के आत्महत्या के जोखिम का आकलन करने के लिए मशीन लर्निग का इस्तेमाल किया। पचीपाला को सीबोर्ग अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है।
विज्ञान प्रतिभा खोज कार्यक्रम के पूर्व छात्र 11 नोबेल पुरस्कार और गणित के क्षेत्र में दो फील्ड पदक जीत चुके हैं। रेजेनरॉन के न्यूयॉर्क मुख्यालय के सह-संस्थापक और अध्यक्ष जॉर्ज यनकोपोलोस खुद भी 1976 में साइंस टैलेंट सर्च प्रतियोगिता के विजेता रह चुके हैं। इस प्रतियोगिता को पहले वेस्टिंगहाउस प्रायोजित करता था, अब रीजेनरॉन इसके लिए मदद मुहैया कराता है।