Skip to content

नासा ने सूर्य ग्रहण के वक्त अनूठा प्रयोग करने की जिम्मेदारी आरोह को सौंपी

आरोह बड़जात्या फ्लोरिडा में एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में भौतिकी के प्रोफेसर हैं। उनकी टीम 14 अक्टूबर को कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान तीन रॉकेट लॉन्च करने वाली है।

नासा के वैज्ञानिक आरोह बड़जात्या। फोटो साभार सोशल मीडिया

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारतीय मूल के वैज्ञानिक आरोह बड़जात्या को सूर्य के अनदेखे राज खोलने वाले एक बड़े मिशन की जिम्मेदारी सौंपी है। आरोह की टीम 14 अक्टूबर को कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान तीन रॉकेट लॉन्च करने वाली है।

Last year, We drove to Kentucky from NJ. It was long drive to go like 15 hours, and took more than 20 hours to came back home.  But it was worth it. Amazing event of my life. Never forget but at least I can share with you all.
आरोह की टीम 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के दौरान प्रयोग करेगी। Photo by Jongsun Lee / Unsplash

आरोह बड़जात्या फ्लोरिडा में एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में भौतिकी के प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि एटमास्फेरिक परटरबेशंस अराउंड द इक्लिप्स पाथ (एपीईपी) नामक इस मिशन का उद्देश्य यह देखना है कि सूर्य की रोशनी में अचानक आई कमी हमारे ऊपरी वायुमंडल को किस तरह प्रभावित करती है।

मिशन के दौरान पहला रॉकेट सूर्यग्रहण से 35 मिनट पहले, दूसरा सूर्यग्रहण के दौरान और तीसरा 35 मिनट के बाद छोड़ा जाएगा। इन्हें वलयाकार पथ के ठीक बाहर की ओर भेजा जाएगा जहां सूर्य के सामने से चंद्रमा गुजरता है।

उन्होंने बताया कि इनमें लगे उपकरण इलेक्ट्रिक व मैग्नेटिक फील्ड, घनत्व और तापमान आदि में आने वाले बदलावों का अध्ययन करेंगे। ये रॉकेट सतह से 70 से लेकर 325 किलोमीटर ऊपर तक विभिन्न चीजों में आने वाले बदलावों को मापेंगे।

आरोह ने बताया कि अगर ये मिशन कामयाब रहा तो सूर्य ग्रहण के दौरान आयनमंडल में अलग अलग जगहों से माप लेने का यह पहला प्रयोग होगा। यह अपने आप में एक बड़ी बात होगी।

Comments

Latest