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रोबोट्स को 'संवेदनशील' बनाने में जुटे हैं भारतीय मूल के यह इंजीनियर

स्कॉटलैंड में एक दशक तक इलेक्ट्रॉनिक त्वचा विकसित करने के बाद प्रोफेसर रविंदर दहिया अमेरिका चले आए जहां उनका नया प्रोजेक्ट रोबोट्स को मानव के समान भौतिक गुण प्रदान करेगा।

नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बोस्टन (MA) के प्रोफेसर रविंदर दहिया इलेक्ट्रॉनिक त्वचा पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ हैं। Photo : Matthew Modoono, Northeastern University

आनंद पार्थसारथी

बोस्टन (मैसाचुसेट्स, यूएसए) में नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रविंदर दहिया एक ऐसी परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं जिससे मानव जैसी शारीरिक क्षमताओं वाले स्मार्ट लेकिन नरम रोबोट्स की एक नई पीढ़ी तैयार करने में मदद मिलने की उम्मीद है। प्रो. दहिया का का जन्म भारत में हुआ और वह इलेक्ट्रॉनिक त्वचा के एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं।

इलेक्ट्रॉनिक त्वचा को एक ऑपरेटर की बांह (बाएं) पर रखा जाता है और रोबोट की उंगलियों में शामिल किया जाता है। Photo : Matthew Modoono, Northeastern University

उनके काम से रोबोट्स में उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक त्वचा को मानव त्वचा की तरह विस्तार और अनुबंध करने में सक्षम बनाकर मनुष्यों की बहुमुखी प्रतिभा और स्पर्श (स्पर्श संवेदना) क्षमता प्रदान करने की उम्मीद है।

प्रोफेसर दहिया को हाल ही में रोबोटिक्स अनुप्रयोगों के लिए सॉफ्ट मैग्नेटिक कॉइल आधारित अल्ट्रा-थिन एक्चुएटर और टच सेंसर के साथ एकीकृत लचीली और संपीड़ित ई-स्किन विकसित करने की परियोजना के लिए 230,000 डॉलर का राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन अनुदान दिया गया था।

परियोजना वक्तव्य में कहा गया कि रोबोट्स के सुचारू संचालन के लिए प्राकृतिक त्वचा विशेषताओं की प्रतिकृति अत्यंत महत्वपूर्ण है। त्वचा से स्पर्श संवेदी प्रतिक्रिया रोबोट्स को दैनिक कार्यों में बुजुर्गों की मदद करने और वास्तविक दुनिया की वस्तुओं (उदाहरण के लिए, नाजुक वस्तुओं को पकड़ने) के साथ सुरक्षित रूप से संवाद करने योग्य बना सकती है।

प्रो. दहिया आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र हैं जहां से उन्होंने 2001 में एम.टेक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 2008 में उन्होंने इटालियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इटली के जेनोआ विश्वविद्यालय से ह्यूमनॉइड टेक्नोलॉजी में पीएचडी हासिल की।

इस साल की शुरुआत में यूनिवर्सिटी में जुड़ने से पहले प्रो. दहिया लगभग एक दशक तक (2013 से) ग्लासगो यूनिवर्सिटी, स्कॉटलैंड (यूके) के जेम्स वाट स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रॉनिक्स और नैनोइंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। वहीं पर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक त्वचा विकसित करने वाले काम का नेतृत्व किया। यह त्वचा स्पर्श का अहसास करती थी और दर्द जैसी संवेदनाओं को महसूस कर सकती थी।

हालांकि ई-स्किन वेरिएंट ने अब तक इस तथ्य को नजरअंदाज किया है कि प्राकृतिक त्वचा में नरम ऊतकों में रिसेप्टर्स या सेंसर लगे होते हैं जो मांसपेशियों के साथ कसकर जुड़े होते हैं। अकेले स्पर्श सेंसर के साथ ई-स्किन के लिए प्राकृतिक त्वचा की कार्यक्षमता से मेल खाना संभव नहीं है। ऐसे में रिसेप्टर्स (सेंसर) और मांसपेशियों (एक्चुएटर्स) के बीच एक सहज जोड़ की आवश्यकता थी।

नरम, संपीड़ित-त्वचा
सभी ई-स्किन अनुसंधानों में लंबे समय से चली आ रही इस महत्वपूर्ण कमी को दूर करने के लिए प्रो. दहिया की नई परियोजना एक नरम और संपीड़ित ई-स्किन बनाने की कोशिश करेगी जिसमें नरम विद्युत चुम्बकीय कॉइल-आधारित लचीले अल्ट्रा-थिन एक्चुएटर के साथ एकीकृत टच सेंसर होगा। प्रो. दहिया इसकी पुष्टि करते हैं। वह कहते हैं कि हाल ही में वित्त पोषित परियोजना से ई-स्किन कार्य का विस्तार किया जाएगा।

महसूस करने से ज्यादा त्वचा के लिए
नॉर्थईस्टर्न ग्लोबल न्यूज के सेसरियो कॉन्ट्रेरास से बात करते हुए प्रो. दहिया ने चेतावनी दी कि उनके जैसे शोधकर्ता लगभग एक दशक से रोबोट के लिए इलेक्ट्रॉनिक त्वचा विकसित करने पर काम कर रहे हैं। अपने काम के माध्यम से उन्होंने स्पर्श सेंसर विकसित किए जो त्वचा को उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाते हैं। लेकिन हमने देखा कि त्वचा का मतलब केवल महसूस करना नहीं है। इसका मतलब वह भी है जिसे हम 'हैप्टिक इंटरेक्शन' कहते हैं। इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि जानकारी संपर्क बिंदु से मस्तिष्क तक जाती है और फिर संपर्क बिंदु पर वापस आती है।

अब ऐसा लग रहा है कि प्रो. दहिया का अगला प्रोजेक्ट इलेक्ट्रॉनिक त्वचा बनाने में मदद करेगा जो वास्तविक में मानव के अधिक नजदीक होगा। शायद इसके लिए अधिक इंतजार भी न करना पड़े। प्रो. दहिया का कहना है कि उम्मीद है कि अगले साल कुछ उत्साहजनक खबर सुनने को मिले।

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