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शणमुगारत्नम ने ली शपथ, उनसे पहले भारतीय मूल के दो राष्ट्रपति बन चुके हैं

थरमन शणमुगारत्नम ने सिंगापुर के 9वें राष्ट्रपति के रूप में गुरुवार को शपथ ली। इससे पहले सिंगापुर में भारतीय मूल के दो राष्ट्रपति रह चुके हैं। एसआर नाथन 2009 में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति बने थे। भारतीय मूल के देवन नायर 1981 से 1985 तक सिंगापुर के तीसरे राष्ट्रपति रहे हैं।

भारतीय मूल के थरमन शणमुगारत्नम ने सिंगापुर के 9वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। फोटो : @JiRongMFA

भारतीय मूल के पूर्व मंत्री थरमन शणमुगारत्नम ने सिंगापुर के 9वें राष्ट्रपति के रूप में गुरुवार को शपथ ली। भारतीय मूल के मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेनन ने सिंगापुर के शॉपिंग एंड होटल बेल्ट ऑफ ऑर्चर्ड रोड के बीचोंबीच स्थित 154 साल पुराने महल इस्ताना में आयोजित एक समारोह में उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस्ताना सिंगापुर के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है।

समारोह में प्रधानमंत्री ली सीन लूंग, कैबिनेट के सदस्य, सांसद, शीर्ष सिविल सेवक और प्रमुख राजनयिक शामिल हुए। 66 वर्षीय थरमन का कार्यकाल छह साल का होगा। उन्होंने सिंगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति हलीमा याकूब का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल 13 सितंबर को समाप्त हो गया था।

थारमन ने अपने सार्वजनिक सेवा में अपने पूरे जीवन में सिंगापुर की सेवा की है। उन्हें चीनी समाज का भी भारी समर्थन हासिल हुआ। उन्होंने एक सितंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में 70.4 प्रतिशत मत हासिल कर सभी को चौंका दिया था। चुनाव में उन्होंने चीनी मूल के कारोबारी अधिकारी एनजी कोक सोंग को 15.72 प्रतिशत और टेन किन लियान को 13.88 प्रतिशत मतों के साथ पीछे छोड़ दिया था।

थारमन की शादी जापानी-चीनी विरासत की सिंगापुर के वकील जेन इटोगी से हुई है। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) से अर्थशास्त्र में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री के साथ स्नातक होने से पहले प्रमुख एंग्लो-चीनी स्कूल में पढ़ाई की थी।  बाद में वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में वोल्फसन कॉलेज गए, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री पूरी की।

इसके बाद वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में छात्र बने, जहां उन्होंने लोक प्रशासन की डिग्री में मास्टर पूरा किया और लुसियस एन लिटौर फेलो अवार्ड हासिल किया, जो लोक प्रशासन के ऐसे छात्रों को दिया जाता है जो पढ़ाई के दौरान अकादमिक उत्कृष्टता और नेतृत्व का प्रदर्शन करते हैं। 1970 के दशक में ब्रिटेन में पढ़ाई के दौरान थरमन एक छात्र कार्यकर्ता थे। वह मूल रूप से समाजवादी विचारधारा के रहे हैं, लेकिन बाद में अर्थशास्त्र पर उनके विचार उनके करियर के दौरान विकसित हुए।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक थारमन जनता के राष्ट्रपति हैं। वह राष्ट्रपति कार्यालय में व्यापक अनुभव के साथ काम करेंगे। क्योंकि उन्होंने सिंगापुर के आर्थिक विकास में दो दशकों से अधिक समय तक सेवा की है। वह सरकार में वरिष्ठ मंत्री, उप प्रधान मंत्री (मई 2011 से मई 2019), और अन्य पदों के बीच वित्त मंत्री भी रहे हैं। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व आर्थिक मंच और संयुक्त राष्ट्र विकास मंच जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों में नेतृत्व के पदों पर काम किया है।

लगभग 5.6 मिलियन आबादी वाले सिंगापुर में चीनी 74.3 प्रतिशत हैं। भारतीय लगभग 9 प्रतिशत और मलय लगभग 13.5 प्रतिशत हैं। थरमन की जीत सिंगापुर के बहुजातीयता की जीत है। उनकी भारतीयता उस व्यवस्था और संरचना का एक हिस्सा है। सिंगापुर में राष्ट्रपति एक गैर-राजनीतिक पद है, लेकिन राष्ट्रीय भंडार, सार्वजनिक क्षेत्र में शीर्ष नियुक्तियों और भ्रष्टाचार की जांच के लिए प्राधिकरण पर नजर रखने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है।

इससे पहले सिंगापुर में भारतीय मूल के दो राष्ट्रपति रह चुके हैं। तमिल मूल के एसआर नाथन के नाम से लोकप्रिय सेलापन रामनाथन सिंगापुर के राष्ट्रपति के रूप में काम कर चुके हैं। 2009 में बेंजामिन शीरेस को हराकर नाथन सिंगापुर के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति बने थे। उनके अलावा देवन नायर 1981 से 1985 तक सिंगापुर के तीसरे राष्ट्रपति रहे हैं। मलेशिया के मलक्का में 1923 में जन्मे नायर रबर प्लांटेशन क्लर्क के बेटे थे, जो मूल रूप से केरल के थालास्सेरी के रहने वाले थे।

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