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एनिस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ. संथानम को मिला यह अमेरिकी सम्मान

ASA प्रेसिडेंट MD, FAAP, FASA माइकल डब्ल्यू चैम्प्यू ने कहा कि डॉ. संथानम ने अथक रूप से हम सबकी जानकारी बढ़ाने और क्षेत्र विशेष की शिक्षा पद्धतियों में उन्नयन के लिए जो काम किया है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है और उसका लाभ पूरी दुनिया को हासिल हुआ है।

डॉ. संथानम सुरेश एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवॉर्ड से सम्मानित। Image : social media

दि अमेरिकन सोसायटी ऑफ एनिस्थीसियोलॉजिस्ट (ASA) ने MD, MBA और FASA डॉ. संथानम सुरेश को 2023 एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया है। बच्चों में स्थानीय स्तर पर एनिस्थीसिया और कष्ट प्रबंधन के लिहाज से शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. संथानम को यह पुरस्कार दिया गया है।

man in white thobe standing
Demo pic : social media

हर साल यह पुरस्कार ASA के उस सदस्य को दिया जाता है जिसने अपने विशेषज्ञता क्षेत्र में शिक्षा की बेहतरी, पठन-पाठन के नये तरीके विकसित करने और पढ़ाने के नवाचार कार्यक्रमों को लागू करने में महती काम किया हो।

डॉ. सुरेश शिकागो के एन एंड रोबर्ट ए ल्यूरी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में एनिस्थीसियोलॉजी के आर्थर सी किंग प्रोफेसर और चेयर एमिरिटस हैं। इसके अलावा वह नॉर्थवेस्टर्न मेमोरियल हॉस्पिटल, शिकागो में प्रोफेसर ऑफ एनिस्थीसियोलॉजी एंड पी़डियाट्रिक्स भी हैं। वह इलिनोइस की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलॉग स्कूल आॉफ मैनेजमैंट में अकादमिक निदेशक के रूप में भी अपनी सेवाएं देते हैं।

बीते दो दशकों के दौरान डॉ. संथानम ने जो शोध किये हैं उससे बच्चों को होने वाले तेज दर्द का पता लगाने और उसके प्रबंधन में मदद मिली है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सभा-संगोष्ठियां की हैं जहां उन्होंने पी़डियाट्रिक कष्ट प्रबंधन और सेवा नीतियों के बारे में विस्तार से अपना अनुभव साझा किया है।

ASA प्रेसिडेंट MD, FAAP, FASA माइकल डब्ल्यू चैम्प्यू ने कहा कि डॉ. संथानम ने अथक रूप से हम सबकी जानकारी बढ़ाने और क्षेत्र विशेष की शिक्षा पद्धतियों में उन्नयन के लिए जो काम किया है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है और उसका लाभ पूरी दुनिया को हासिल हुआ है।

डॉ. संथानम ने अपनी मेडिकल डिग्री यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास स्टेनले कॉलेज, भारत से हासिल की है और उसके बाद वे पढ़ाई जारी रखने के लिए अमेरिका आ गये। अमेरिका के विभिन्ना शिक्षण संस्थानों से उन्होने अनेक डिग्रियां हासिल कीं और साथ ही अनुसंधान के माध्यम से समाज और चिकित्सा पेशे में योगदान देने के लिए सक्रिय हुए।

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