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प्रो. अरूप को मानद उपाधि से सम्मानित करेगा शिकागो विश्वविद्यालय

भारतीय अमेरिकी प्रो. अरूप के. चक्रवर्ती मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं। वह एमआईटी के 12 संस्थानों के प्रोफेसरों में इकलौते हैं जिन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि दी जा रही है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक प्रो. अरूप के. चक्रवर्ती (साभार सोशल मीडिया)

शिकागो विश्वविद्यालय ने इस वर्ष जून में अपने दीक्षांत समारोह में पांच प्रसिद्ध विद्वानों को मानद उपाधि प्रदान करने का निर्णय किया है। सम्मानित होने वाले विद्वानों में भारतीय अमेरिकी प्रो. अरूप के. चक्रवर्ती भी हैं। वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं।

शिकागो यूनिवर्सिटी (साभार सोशल मीडिया)

पुरस्कार पाने वाले अन्य विद्वानों में येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल मनोचिकित्सक जेम्स पी. कॉमर, फ्रेई यूनिवर्सिटी बर्लिन में एक गणितज्ञ हेलेन एस्नॉल्ट, एक्सेटर विश्वविद्यालय में समुद्री संरक्षण के विद्वान कैलम रॉबर्ट्स और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को में एक फार्मास्युटिकल वैज्ञानिक जेम्स ए. वेल्स शामिल हैं।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 12 संस्थानों के प्रोफेसरों में से सिर्फ एक विद्वान प्रो. अरूप चक्रवर्ती शिकागो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्राप्त करेंगे। उन्होंने पिछले 23 वर्षों में इम्यूनोलॉजी और भौतिक इंजीनियरिंग विज्ञान को एक साथ लाने पर फोकस किया है। इससे आने वाले समय में इम्यून सिस्टम विकसित करने और वायरल संक्रमण को नियंत्रित करने की दिशा में सफलता मिल सकती है।

भारतीय अमेरिकी डॉ. चक्रवर्ती केमिकल इंजीनियरिंग, फिजिक्स और केमिस्ट्री के प्रोफेसर भी हैं। भौतिकी विज्ञान और गणित का प्रयोग जीव विज्ञान से जुड़ी शाखाओं में खोज के अवसर तलाशने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। उन्होंने इस दिशा में मत्वपूर्ण काम किए हैं। शिकागो विश्वविद्यालय ने उल्लेख किया कि बुनियादी और नैदानिक इम्यूनोलॉजिस्ट के साथ उनके सहयोग के कारण उनका काम विशेष रूप से प्रभावशाली रहा है।

प्रो. चक्रवर्ती ने 1983 में आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक. किया। इसके बाद डेलावेयर विश्वविद्यालय, यूएसए में अध्ययन किया। 1987 से 1988 तक मिनेसोटा विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप के बाद वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में एक संकाय के रूप में शामिल हुए। जहां वे वारेन और कैथरीन स्लिंगर प्रतिष्ठित प्रोफेसर और केमिकल इंजीनियरिंग के अध्यक्ष थे।

उन्होंने लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी में सैद्धांतिक और कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान में भी महत्वपूर्ण काम किया। सितंबर 2005 में, वह MIT चले गए जहां वे वर्तमान में केमिकल इंजीनियरिंग, केमिस्ट्री और बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग के रॉबर्ट टी. हसलाम प्रोफेसर हैं।

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