भारतीय-अमेरिकी डॉ. सुरिंदर (सूरी) सहगल की पहचान एक फसल वैज्ञानिक, उद्यमी और बीजमैन के रूप में रही है। उन्होंने फसलों के बीजों पर बहुत काम किया है। वैश्विक हाइब्रिड बीज उद्योग विशेषज्ञ के रूप में उनके पास एक लंबा अनुभव रहा है। सहगल की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें 2022 के लिए प्रतिष्ठित डॉ. एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार हर साल एक प्रख्यात कृषि विशेषज्ञ को दिया जाता है।
We are thrilled to announce that Dr. Surinder (Suri) Sehgal, Founder of S M Sehgal Foundation (India) and Sehgal Foundation (USA), has been honored with the prestigious Dr. M S Swaminathan Award for Leadership in Agriculture, 2022 for transformative impact to #rural #farmers. pic.twitter.com/hTERDMlwKF
— Sehgal Foundation (@sehgalfdn) August 21, 2023
डॉ. सूरी सहगल दुनिया भर में हाइब्रिड बीज उद्योग के विकास और प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने भारत के हैदराबाद स्थित प्रोग्रो ग्रुप ऑफ सीड (अब बायर) और हाइटेक सीड इंडिया की स्थापना के माध्यम से भारतीय बीज क्षेत्र का निर्माण करने में मदद की है।
Congrats to Dr. Suri Sehgal, Founder & Chairman, Sehgal Foundation, who is the 13th recipient of the Dr. MS Swaminathan Award, for his leadership in strengthening the seed sector & rural development in India. Learn more: https://t.co/dpFDjChaEJ pic.twitter.com/YBCFZJkK39
— India Philanthropy Alliance (@phil_india) August 21, 2023
वह एस एम सहगल फाउंडेशन (भारत) और सहगल फाउंडेशन (USA) के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाने और स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। एसएम सहगल फाउंडेशन (MSSF) का भारत के 2,040 गांवों में 4.2 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच है।
Use of modern technology in agriculture has the potential to address and overcome challenges such as poverty, resource scarcity, climate change, hunger, and malnutrition. “Be flexible and adopt proven new technologies.” ~ Dr. Suri Sehgal #agriculture #farming #mechanization pic.twitter.com/licGp9kcVw
— Sehgal Foundation (@sehgalfdn) January 11, 2022
एसएमएसएफ ने पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बेहतर कृषि पद्धतियां और किसान आय, सरकारी कार्यक्रमों में स्थानीय भागीदारी, विशेष रूप से महिलाओं को बढ़ावा दिया। डिजिटल और जीवन कौशल सीखने के साथ गांव के युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सहगल के जीवन और भारत और अन्य जगहों पर उनके कार्यों के माध्यम से किसानों और ग्रामीण समुदायों पर उनके असर पर एक लघु फिल्म दिखाई गई। इस दौरान 100 से अधिक गणमान्य और प्रभावशाली लोग मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम में एमएसएसआरएफ की अध्यक्ष डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने ऑनलाइन भाग लिया। प्रशस्ति पत्र को टीएएएस के उपाध्यक्ष और ट्रस्टी डॉ. गुरबचन सिंह ने पढ़ा। यह पुरस्कार प्रख्यात मक्का ब्रीडर, विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता और पिछले साल इस पुरस्कार को हासिल करने वाले डॉ. एस के वासल द्वारा दिया गया। बता दें कि वासल ने मैक्सिको में गुणवत्ता प्रोटीन मक्का (क्यूपीएम) प्रजनन कार्यक्रम का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है।
पुरस्कार ग्रहण कार्यक्रम में डॉ. सहगल ने वैज्ञानिक उपलब्धि और सामाजिक विकास की अपनी यात्रा के बारे में साझा किया। उन्होंने कहा कि अपने पूरे करियर के दौरान मैंने दुनिया में भूख की समस्या को कम करने, खाद्य सुरक्षा बनाने और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए एक अनिवार्यता महसूस की। इसी दृष्टिकोण के साथ डॉ एमएस स्वामीनाथन ने जीवनभर काम किया था, जिनके लिए इस पुरस्कार का नाम रखा गया है।
गौरतलब है कि भारत में स्थित ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) ने 2004 में भारतीय कृषि के दिग्गज डॉ. एमएस स्वामीनाथन के सम्मान में इस पुरस्कार की स्थापना की थी। अब तक बारह प्रख्यात कृषि वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार मिल चुका है।