भारतीय अमेरिकी डॉक्टर अमोल सक्सेना को हाल ही में यूके स्थित स्कॉटलैंड के ग्लासगो में रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन और सर्जन समारोह में फैकल्टी ऑफ पोडियाट्रिक मेडिसिन के फेलो के रूप में शामिल किया गया है। खास बात ये है कि अमोल फेलो के रूप में शामिल किए गए अपने कॉलेज में एकमात्र भारतीय अमेरिकी सदस्य हैं। इसके अलावा अमोल सक्सेना जर्मन एसोसिएशन फॉर फुट एंड एंकल सर्जरी में लाइफटाइम ऑनरी सदस्यता हासिल करने वाले तीन अमेरिकी पोडियाट्रिस्ट में से एक हैं।
अमोल सक्सेना अमेरिका के पालो अल्टो में रहते हैं। इस जून में उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज के गीसेल मेडिकल स्कूल के माध्यम से अपनी मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ डिग्री (MPH) पूरी की है। सक्सेना के दो मुख्य MPH प्रोजक्ट थे। इनमें से एक प्राथमिक देखभाल को एक विशेषज्ञता के रूप मे प्रोत्साहित करने के लिए अमेरिकी चिकित्सा शिक्षा को फिर से डिजाइन करने पर था। वहीं उनका दूसरा प्रोजेक्ट राष्ट्रीय लाइसेंस पोर्टेबिलिटी पर था। सक्सेना के इस प्रोजेक्ट को जुलाई में वाशिंगटन डीसी में अमेरिकन ऑर्थोपेडिक सोसाइटी फॉर स्पोर्ट्स मेडिसिन की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया था।
अमोल ने बताया कि उन्होंने हाल ही में एक ओप-एड प्रकाशित किया है और एशियाई डॉक्टरों समेत चिकित्सा में पूर्वाग्रह के बारे में ‘KevinMD’ पर एक पॉडकास्ट भी रिकॉर्ड किया है। अपने पोडकॉस्ट में सक्सेना ने अध्ययनों का हवाला देते हुए बताया था कि अमेरिकी चिकित्सकों में 20% एशियाई होने के बावजूद 4% से भी कम उच्च पदों पर काम कर रहे हैं। सक्सेना ने एक अन्य अध्ययन का हवाला देते हुए कहा था कि अमेरिकी चिकित्सा पेशेवरों में पूर्वाग्रह सामान्य आबादी के समान है और यह त्वचा के रंग पर आधारित है।
सक्सेना ने बताया कि अमेरिकी नीति निर्माताओं द्वारा अपनाई जा रही MPH परियोनाओं को वह आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। वह इसके लिए CA भारतीय अमेरिकी कांग्रेसियों से जुड़ना चाहते हैं। ओहियो के एक कांग्रेसी उनकी समीक्षा कर रहे हैं।
आपको बता दे कि डॉ.अमोल सक्सेना अब ‘फिजिशियंस जस्टिस इक्विटी के लिए वालंटीयर भी हैं। यह संगठन उन सभी डॉक्टरों की मदद करता है जो पूर्वाग्रह के शिकार हैं जिसने भारतीय व अन्य BIPOC चिकित्सकों को प्रभावित किया है। वह इस विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर व्याख्यान भी दे रहे हैं कि कैसे पूर्वाग्रह और पक्षपात डॉक्टरों विशेषकर पोडियाट्रिस्टों को प्रभावित करते हैं।