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थिक्सी मठः आध्यात्मिकता और अलौकिक आनंद का अनूठा संगम

मठ के अंदर मैत्रेय बुद्ध की 49 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो दो मंजिलों के बराबर है। यहां पर आप बौद्ध धर्म से जुड़े थंगका स्तूप, पेंटिंग्स, मूर्तियां आदि चीजें भी देख सकते हैं। यहां पर करीब 10 मंदिर और एक हॉल है।

थिक्सी मठ की भव्यता इसी से जाहिर है कि इसकी ऊंचाई 12 मंजिला है। फोटो साभार सोशल मीडिया

भारत में बौद्ध धर्म से जुड़े अनगिनत मठ मंदिर और धर्मस्थल हैं। इन्हीं में से एक है थिक्सी मठ। भारत के लद्दाख में स्थित इस मठ को देश के सबसे भव्य मठों में से एक माना जाता है। अगर आपको अद्भुत शांति के अहसास के साथ भारत में कुछ अलग घूमने का मन है तो ये जगह एक बेहतर विकल्प हो सकती है।

थिक्सी मठ की भव्यता इसी से जाहिर है कि इसकी ऊंचाई 12 मंजिला है। यह समुद्र तल से लगभग 11800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गेलुप्पा संप्रदाय से जुड़े इस मठ का निर्माण जंगसेम शेरब ज़ंगपो द्वारा 1430 में कराया गया था। यह लेह से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर है।

मठ के अंदर मैत्रेय बुद्ध की 49 फुट ऊंची प्रतिमा है। फोटो साभार सोशल मीडिया

मठ के अंदर मैत्रेय बुद्ध की 49 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो दो मंजिलों के बराबर है। यहां पर आप बौद्ध धर्म से जुड़े थंगका स्तूप, पेंटिंग्स, मूर्तियां आदि चीजें भी देख सकते हैं। यहां पर करीब 10 मंदिर और एक हॉल है। सफेद, लाल और गेरुआ रंग से बना यह मठ मैदान के बीच एक पठार पर स्थित है, जो मीलों दूर से नजर आता है।

यह बौद्ध संस्कृतियों का मिश्रण, समकालीन वास्तुकला और शिल्प कौशल का अद्भुत उदाहरण है। इसकी भव्यता अद्भुत है। कहने की बात नहीं है कि यहां पर आकर आपको अलग ही आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होगी। यहां की हवा बिल्कुल साफ और जादुई है। आसमान में जब बादल घिरे होते हैं, तब यह जगह जन्नत में बने किसी महल जैसी नजर आती है।

कैसे पहुंचे
थिक्सी मठ तक पहुंचने के लिए पहले आपको लेह जाना होगा। लेह से इसकी दूरी लगभग 22 किलोमीटर है। थिक्सी गांव यह लेह-मनाली हाईवे पर है। हवाई मार्ग से जाने वालों के लिए लेह में डोमेस्टिक एयरपोर्ट है। इसके अलावा आसपास के इलाकों से बस के जरिए भी यहां पहुंचा जा सकता है। मॉनेस्ट्री घूमने के लिए मई से अक्टूबर-नवंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है। नवंबर के बाद बर्फवारी के चलते यहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

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