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'सफेद रेगिस्तान' के इन मड हाउस में स्टे आपका दिल खुश कर देगा

सैलानियों के लिए बने कई मड हाउसों के अंदर आधुनिक सुख-सुविधाओं का पूरा इंतजाम होता है। एसी से लेकर नरम गद्देदार बिस्तर और स्वादिष्ट भोजन तक, सब कुछ मिलता है। जो पर्यटक देहाती परिवेश का आनंद लेना चाहते हैं, उनके लिए थोड़ा ग्रामीण और थोड़ा आधुनिक माहौल वाले घर भी होते हैं।

गुजरात के खास भूंगा घर सैलानियों को खासे लुभाते हैं। फोटो साभार सोशल मीडिया

भारत से रिश्ता रखने वाले बहुत से लोग विदेशों में जाकर बसे हुए हैं। ये लोग भले ही परदेस में हों, लेकिन भारत की मिट्टी की खुशबू उन्हें समय समय पर भारत खींच लाती है और वे इस दौरान अपने देस की आबोहवा, यहां के रहन-सहन, यहां के खान-पान के जरिए खुद को पूरी तरह आत्मसात कर लेना चाहते हैं। आज जब भारत की मिट्टी का बात चली है तो आइए आज आपको भारत के ऐसे मिट्टी के बने घरों के बारे में बताते हैं, जहां ठहरकर आप पुराने और नए भारत का अनुभव एक साथ ले सकते हैं।

भूंगा घरों को पारंपरिक तरीके से मिट्टी, बांस और फूस आदि से बनाया जाता है। फोटो साभार सोशल मीडिया

हम बात कर रहे हैं सैलानियों के लिए खासतौर से बनाए गए मिट्टी के घरों यानी मड हाउस की। वैसे तो भारत के कई इलाकों में इस तरह के मड हाउस बने हुए हैं। हम आपको बताएंगे गुजरात में बनने वाले खास भूंगा घरों के बारे में। गुजरात में कच्छ के धोरडो में बने भूंगा शैली के घर देसी-विदेशी सैलानियों का खासा लुभाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि धोरडो को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड टूरिजम ऑर्गनाइजेशन की तरफ से दुनिया के वेस्ट टूरिजम विलेज में शामिल किया गया है।

इन घरों में देहाती परिवेश और आधुनिक सुविधाओं का पूरा इंतजाम रहता है। फोटो साभार सोशल मीडिया

सफेद रेगिस्तान के नाम से मशहूर कच्छ में नवंबर के महीने में लगने वाला कच्छ उत्सव विश्व प्रसिद्ध है। दूर दुनिया से हजारों लोग इस उत्सव में आकर स्थानीय संस्कृति, परिवेश और विरासत का लुत्फ उठाते हैं। इसी के आसपास बने हैं भूंगा शैली के घर। वैसे तो इन घरों को बनाने की शुरुआत मजबूरी में हुई थी, लेकिन इनमें से कई घर सैलानियों को आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त स्टे भी उपलब्ध कराते हैं।

पारंपरिक तरीके से बनने वाले भूंगा शैली के घर लकड़ी, बांस और फूस आदि को मिट्टी और गोबर में मिलाकर तैयार किए जाते हैं। ये इस तरह से बनाए जाते हैं कि गर्मी के दिनों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहते हैं। उनकी छतें फूस की बनी होती हैं। एक या दो खिड़कियां होती हैं। मड हाउस के बाहर दिल को लुभाने वाली चित्रकारी की गई होती है।

सैलानियों के लिए बने कई मड हाउसों के अंदर आधुनिक सुख-सुविधाओं का पूरा इंतजाम होता है। एसी से लेकर नरम गद्देदार बिस्तर और स्वादिष्ट भोजन तक, सब कुछ मिलता है। जो पर्यटक देहाती परिवेश का आनंद लेना चाहते हैं, उनके लिए थोड़ा ग्रामीण और थोड़ा आधुनिक माहौल वाले भूंगा घर भी होते हैं।

कैसे पहुंचें
धोरडो गांव गुजरात के कच्छ जिले में है। नजदीकी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अहमदाबाद में है। वैसे भुज में भी एयरपोर्ट है, लेकिन ज्यादा उड़ानें नहीं हैं। भुज रेलवे स्टेशन से धोरडो की दूरी लगभग 80 किमी है। भुज से कच्छ तक जाने के लिए बस या टैक्सी मिल जाती हैं।

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