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भारत में अब कर सकेंगे बॉर्डर टूरिज्म, चीन से सटे 17 गांव बनेंगे पर्यटक स्थल

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत पहले चरण में चीन सीमा से सटे 17 सीमावर्ती गांवों को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाएगा। इस दौरान साहसिक पर्यटन और होमस्टे पर खासा ध्यान दिया जाएगा।

सांकेतिक तस्वीर Photo by Amit Jain / Unsplash

भारत सरकार चीन सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई योजना पर काम कर रही है। इस योजना को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम नाम दिया गया है। इसके तहत चीन सीमा से सटे 17 गांवों को चुना गया है। इन्हें पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। ये चुने गए सीमावर्ती गांव हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में हैं।

पहले चरण में 17 सीमावर्ती गांवों को विकसित किए जाएंगे। सांकेतिक तस्वीर Photo by Aman Shrivastava / Unsplash

खबरों में कहा गया है कि भारत के पर्यटन मंत्रालय ने प्रयोग के तौर पर इन 17 सीमावर्ती गांवों को विकसित करने का फैसला किया है। ये उन 663 गांवों का हिस्सा हैं जिनका इस योजना के पहले चरण में कायाकल्प किया जाएगा। इस दौरान पर्यटकों के लिए सुविधाएं और बेहतर कनेक्टिविटी विकसित करने पर फोकस किया जाएगा। इनमें साहसिक पर्यटन और होमस्टे पर खासा ध्यान दिया जाएगा।

योजना के तहत उत्तराखंड के गांवों में 120 होमस्टे तैयार किए जाएंगे। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ट्रेकिंग रूट भी विकसित किए जाएंगे। सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में आइस स्केटिंग, रिवर राफ्टिंग, स्कीइंग और अन्य साहसिक खेलों की सुविधा तैयार की जाएगी। परियोजना के तहत पर्यटन सुविधाओं के विकास के अलावा संबंधित इलाकों में स्वच्छ पेयजल, सड़क संपर्क, मोबाइल नेटवर्क, बिजली, इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान की जाएगी।

खबरों में बताया गया है कि पहले चरण में जिन सीमावर्ती गांवों को चुना गया है, उनमें लद्दाख का चुशूल व कोरज़ोक; हिमाचल प्रदेश का जीपू, लालुंग व चरंग खास; उत्तराखंड का नीति, माना, मलारी व गुंजी; सिक्किम का लाचेन, नाथांग, लाचुंग; अरुणाचल प्रदेश का ज़ेमिथांग, तूतिंग, ताकसिंग, च्यांगताजो और किबिथू शामिल है।

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