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'असम के पिरामिड' चराइदेव मैदाम में क्या खास है जिसे भारत ने विश्व धरोहर नामित किया है

चराइदेव मैदाम में अहोम वंश के लोगों की 90 से अधिक शाही कब्र हैं। इसे असम के पिरामिड के रूप में भी जाना जाता है। भारत सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए यूनेस्को ने विश्व धरोहरों में शामिल किया तो इसे मिलाकर असम राज्य में तीन विश्व धरोहर हो जाएंगी।

भारत सरकार ने असम राज्य में स्थित चराइदेव मैदाम (charaideo moidams) को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल करने के लिए भेजने का फैसला किया है। करीब 90 से अधिक शाही कब्रगाहों वाले इस ऐतिहासिक स्थल को इस प्रतिष्ठित दर्जे के लिए पूरे भारत के 52 स्थलों में से चुना गया है। आइए बताते हैं कि इसमें ऐसा क्या खास है और इसका इतिहास क्या है।

चराइदेव मैदाम को असम के पिरामिड के रूप में भी जाना जाता है। असम में शिबसागर शहर से लगभग 30 किमी दूर स्थित चराइदेव अहोम वंश की पहली राजधानी थी। इसे 1253 में पहले अहोम राजा चाओ लुंग सिउकाफा द्वारा स्थापित किया गया था। चराइदेव अहोम शक्ति का प्रतीक है जो शाही अहोमों की उत्पत्ति का स्थान है।

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