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'भारत के खिलाफ आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से निपटना होगा, वरना...'

भारत को होने वाला संभावित खतरे पर अपनी राय रखते हुए राजीव मल्होत्रा ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग यह नहीं समझ पा रहे कि AI के एल्गोरिदम किस तरह देश की संप्रभुता को खतरा पैदा कर रहे हैं।

राजीव मल्होत्रा अमेरिका में हिंदू संस्कृति के प्रचार के लिए भी काम करते हैं

सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ आए दिन किए जा रहे कुप्रचार से केवल भारतवासी ही नहीं बल्कि प्रवासी भारतीय भी चिंतित हैं। ऐसे ही एक प्रवासी भारतीय हैं 'इनफिनिटी फाउंडेशन' के अध्यक्ष और लेखक राजीव मल्होत्रा, जो भारत सरकार को इस समस्या की जड़ और उससे निपटने के रास्ते  बता रहे हैं। कंप्यूटर साइंस और भौतिक विज्ञान के जानकार राजीव मल्होत्रा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए भारत के लिए पैदा की जा रही मुश्किलों को लेकर आगाह कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि अगर इस प्रौद्योगिकी का सही से इस्तेमाल किया गया तो यह वरदान साबित हो सकती है।

राजीव मल्होत्रा ने 'आर्टिफिशल इंटेलिजेंस एंड द फ्यूचर ऑफ पावर' नाम से एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने बताया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज आम लोगों की जिंदगी हो या समाज, राजनीति या फिर जियो पॉलिटिक्स, सबको किस तरह से प्रभावित कर रहा है।

सोशल मीडिया पर युद्ध, कैसे लड़ेगा भारत

आज के समय में युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी लड़े जा रहे हैं टूल किट का इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है। ऐसे में भारत इससे कैसे लड़ सकता है इसको लेकर 'एल्गोरिदम्स एंड वॉरटाइम प्रोपेगैंड अगेंस्ट इंडिया' विषय पर सोमवार को जूम मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें राजीव मल्होत्रा गेस्ट स्पीकर के रूप शामिल हुए। कार्यक्रम का आयोजन अमेरिका स्थित गैर-राजनीतिक संस्था 'फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसायटी इंटरनैशनल' (FISI) ने किया था। चर्चा की शुरुआत FISI के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष भीष्म अग्निहोत्री ने की। भीष्म अग्निहोत्री अमेरिका के लुजियाना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रह चुके हैं और भारत में उन्हें एनडीए सरकार के दौरान एम्बेसेडर एट लार्ज नियुक्त किया गया था और तभी से उन्हें एम्बेसेडर भीष्म अग्निहोत्री के नाम से भी जाना जाता है।

'अच्छाई-बुराई दोनों है AI में'

चर्चा के दौरान स्पीकर राजीव मल्होत्रा ने पहले AI की विशेषताओं पर रोशनी डाली , 'AI इंसान की क्षमता भी बढ़ा रहा और तो कभी उनसे आगे बढ़ जाता है। यह व्यक्ति के व्यवहार की भी पहचान कर लेता है, साथ ही उसके व्यवहार और भावना को चैनल करता है। आप जीवन में कैसे बढ़ेंगे, यह भी AI तय करता है। एक इंसान जो कर सकता है वह सारे काम AI कर रहा है। इसमें अच्छाई और बुराई दोनों है। यह इंसान के विपरीत कभी नहीं थकता और हर दिन स्मार्ट होता जा रहा है।'

AI से कैसे पैदा हो रहा है खतरा?

वहीं, इससे भारत को होने वाला संभावित खतरे पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग यह नहीं समझ पा रहे कि AI के एल्गोरिदम किस तरह देश की संप्रभुता को खतरा पैदा कर रहे हैं। बच्चों को इसके माध्यम से गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। यह आपके  सोचने समझने की क्षमता से लेकर राजनीति तक को तोड़-मरोड़ कर रहा है। लेखक ने कहा, 'भारत के लोग दिमाग से तेज हैं और वह AI से पैसा भी बना रहे हैं लेकिन वे उसके खतरे से वाकिफ नहीं हैं। मैं भारतीयों को इससे सतर्क रहने के लिए कहता हूं।' आजकल टूलकिट का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कि बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्ट के बीच एक पुल बनाने का काम करता है। टुलकिट के जरिए बुद्धिजीवी अपनी राय एक्टिविस्ट से जाहिर करते हैं और फिर एक्टिविस्ट उनकी राय समाज तक पहुंचाता है जो अलग तरह का खतरा पैदा कर रहा है।

'बड़ी सूनामी से पहले सतर्क हो जाए भारत'

वह मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि भारत एक बड़ी सूनामी का सामना करने वाला है लेकिन अफसोस की बात यह है कि भारत इसको लेकर तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, 'भारत के लिए खतरा एकदम नए तरह के लोग पैदा कर रहे हैं जिसको लेकर भारत को तैयार रहने की जरूरत है। जब बाबर आया तो भारत तैयार नहीं था, पुर्तगाली आए तो भारत तैयार नहीं था, ईस्ट इंडिया कंपनी आई लेकिन हम तैयार नहीं थे। हमारा पूरा इतिहास रहा है कि हम कभी सतर्क और तैयार नहीं रहे हैं। जब हम उन  खतरों से प्रभावित हुए, तब जाकर हम सक्रिय हुए।'

इंडियन स्टार द्वारा यह पूछे जाने पर कि भारत में हाल के दिनों हुई मजहबी हिंसा और नफरत को भड़काने में क्या वह आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की भूमिका देखते हैं ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं हाल के दिल्ली दंगे में इसकी भूमिका नहीं देखता लेकिन सीएए हो या फिर किसान आंदोलन, उनमें AI का व्यापक तौर पर इस्तेमला हुआ और भ्रामक जानकारियां फैलाई गईं।

भारत अपनी समस्याओं से कैसे निपट सकता है? राजीव मल्होत्रा का कहना था कि सबसे पहले सरकार को यह समझना होगा कि हम खतरे की जद में हैं। हमें समझना होगा कि कैसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हमारे खिलाफ हो रहा है। वहीं, हमें भारतीय मस्तिष्क का इस्तेमाल अपने लिए करना होगा। इस समस्या को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, 'आप चीन को देखें वह अपने लोगों का इस्तेमाल अपने घर के अंदर कर रहा है लेकिन भारत से लाखों लोग बाहर भेजे जा रहे हैं और वे अमेरिकी कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं। फेसबुक, एमेजॉन, गूगल या फिर माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाले भारतीय हैं लेकिन जो प्रोडक्ट भारतीयों ने बनाया उस पर वह दावा नहीं कर सकते कि यह उनका है।'

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