पंजाबी अमेरिकी डॉ. जसमीत कौर बैंस ने कैलिफोर्निया के चुनावों में इतिहास रच दिया है। वह कैलिफोर्निया स्टेट असेंबली पहुंचने वाली पहली सिख अमेरिका महिला बन गई हैं। पेशे से फिजिशियन जसमीत को चुनाव में लगभग 61 प्रतिशत वोट मिले हैं। उन्होंने अपने साथी डेमोक्रेट को हराकर यह जीत हासिल की है।
जीत के तुरंत बाद जसमीत ने न्यू इंडिया अब्रॉड से कहा कि कैलिफोर्निया स्टेट असेंबली पहुंचकर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। लेकिन यह बात थोड़ी परेशान करती है कि कैलिफोर्निया में 100 साल से भी ज्यादा समय से भारतीय अमेरिकी खासकर सिख अमेरिकी रह रहे हैं। यहां तक पहुंचने में हमें इतना लंबा वक्त क्यों लगा? इसका मतलब ये है कि हमें अभी बहुत काम करना होगा ताकि आने वाले समय में मैं आखिरी न बन जाऊं।
कैलिफोर्निया में पंजाबी अमेरिकी लोग 1800 के दशक के अंत से रह रहे हैं। कई लोगों ने शुरू में चीनी प्रवासियों के साथ रेलमार्ग बनाए लेकिन फिर मुख्य रूप से यूबा और सटर काउंटियों में खेत खरीद लिए। आज उन क्षेत्रों में पंजाबी अमेरिकी अच्छा खासा उत्पादन कर रहे हैं। जसमीत की परवरिश कैलिफोर्निया की केर्न काउंटी के एक छोटे से शहर डेलानो में हुई, जो अंगूर के उत्पादन के लिए मशहूर है। जसमीत के परिवार के पास कार डीलरशिप थी। बैंस ने पहले परिवारिक व्यवसाय में ही काम किया। अब वह और उनके सभी भाई-बहन हेल्थकेयर प्रोफेशनल हैं।
जसमीत ने पहली बार स्टेट असेंबली का चुनाव लड़ा था और पहले ही प्रयास में जीत हासिल की। इससे पहले वह कैलिफोर्निया के पूर्व गवर्नर जेरी ब्राउन द्वारा गठित कैलिफोर्निया हेल्थकेयर वर्कफोर्स पॉलिसी कमीशन की अध्यक्ष रह चुकी हैं। जसमीत कहती हैं कि कोरोना ने स्वास्थ्य देखभाल संबंधी कमियों को उजागर करके रख दिया है। हमें इस तरफ भी काफी काम करना होगा।
कैलिफोर्निया में डेमोक्रेटिक पार्टी के एग्जिक्यूटिव बोर्ड मेंबर अमर शेरगिल कहते हैं कि जसमीत की जीत ऐसे समय आई है, जब अभूतपूर्व संख्या में सिख अमेरिकी विजयी हुए हैं। जसमीत के खिलाफ विपक्षी उम्मीदवारों ने काफी रकम उड़ाई, इसके बावजूद उन्होंने विरोधियों को ध्वस्त कर दिया। यह काबिले तारीफ है।