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मैचमेकर्स की चिंता: चुनौतीपूर्ण है प्रवासी माता-पिता और उनके एकल बच्चों में पीढ़ीगत अंतर

एक चुनौती ग्राहकों और उनके माता-पिता के बीच पीढ़ीगत अंतर को लेकर रहती है। मेरे ग्राहक दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी हैं। इस नाते वे अक्सर भारतीय और पश्चिमी मूल्यों के मिश्रण की तलाश में रहते हैं जबकि उनके माता-पिता शादी-ब्याह के मामले में अभी भी अधिक पारंपरिक विचार वाले होते हैं।

राधा पटेल। Image : New India Abroad

इंडियन मैचमेकिंग का तीसरा सीजन इस साल नेटफ्लिक्स पर आया और छाया रहा। इसकी प्रस्तोता सीमा तपारिया या सीमा आंटी ने भारतीय मैचमेकिंग उद्योग को वैश्विक श्रोता प्रदान किए। वैसे सीमा आंटी की आलोचनात्मक टिप्पणियां और समझौते के लिए उनकी वकालत ही इस शो में जान पैदा करता है।

jeelakarra Bellam ( subha muhurtham )
Photo by Avinash Uppuluri / Unsplash

लेकिन भारतीय डायस्पोरा की मांग को पूरा करने वाले मैचमेकर्स क्या कुछ करते हैं इसका खुलासा करती हैं राधा पटेल। डलास स्थित राधा पटेल डेटिंग सर्विस 'सिंगल टू शादी' की मालकिन हैं। पटेल ने न्यू इंडिया अब्रॉड से बातचीत में खुलासा किया कि वह कैसे व्यवसाय करती है।

मैचमेकर बनने का फैसला आपने कैसे किया?
बात 2018 की गर्मियों की है। बातों-बातों में मुझे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के भीतर अपने एकल मित्रों और परिवार के जीवन में निभाई गई अपनी अनूठी भूमिका का अहसास हुआ और इस दिशा में कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। लगता है मेरे सुस्थापित नेटवर्क और संपर्कों ने मुझे हमारे जीवंत समुदाय के भीतर साथी की तलाश करने वालों के लिए संभावित रोमांटिक भागीदारों को पेश करने वाले व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है।

अपने ग्राहकों के लिए मिलान ढूंढते समय आपको सबसे बड़ी किस चिंता का सामना करना पड़ता है?
मेरे सामने एक चुनौती ग्राहकों और उनके माता-पिता के बीच पीढ़ीगत अंतर को लेकर रहती है। मेरे ग्राहक दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी हैं। इस नाते वे अक्सर भारतीय और पश्चिमी मूल्यों के मिश्रण की तलाश में रहते हैं जबकि उनके माता-पिता शादी-ब्याह के मामले में अभी भी अधिक पारंपरिक विचार वाले होते हैं।

क्या आप अपने पुरुष और महिला ग्राहकों की शीर्ष तीन जरूरतें बताएंगी?
एशियाई अमेरिकी पुरुषों की आवश्यकताएं हैं सांस्कृतिक अनुकूलता, शिक्षा और महत्वाकांक्षा तथा पारिवारिक झुकाव। दूसरी पीढ़ी की दक्षिण-एशियाई अमेरिकी महिलाओं की आवश्यकताएं हैं जीवन शैली और मूल्यों में अनुकूलता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संचार कौशल तथा लैंगिक समानता और स्वतंत्रता के लिए सम्मान। दोनों पक्षों के लिए सामान्य डीलब्रेकर्स में शामिल हैं सांस्कृतिक समझ की कमी, जीवन के गलत लक्ष्य और असंगत मूल्य या विश्वास।

इंडियन मैट्रिमोनी के बारे में आप क्या सोचती हैं और विचार और आप इसकी लोकप्रियता को लेकर क्या कहेंगी?
मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि यह शो जिस तरह से भारतीय मैचमेकिंग को चित्रित करता है और कुछ रूढ़ियों को कायम रखता है। जाति, त्वचा का रंग, और सतही प्राथमिकताओं जैसे कारकों पर शो का ध्यान प्रतिगामी धारणाओं को मजबूत करने और समुदाय के भीतर भेदभावपूर्ण प्रथाओं को संभावित रूप से मजबूत करने के रूप में देखा जा सकता है। शायद यह भारतीय-अमेरिकी दूसरी पीढ़ी के व्यक्तियों के अनुभवों और आधुनिक दृष्टिकोणों की विविधता और एक साथी खोजने के उनके दृष्टिकोण को पूरी तरह से पकड़ नहीं सकता।

शो ने आपके व्यापार को कैसे प्रभावित किया और क्या आपके प्रति लोगों की धारणआओं में बदलाव आया? शो ने सामान्य रूप से भारतीय मैचमेकिंग के बारे में जागरूकता तो बढ़ाई है। मैचमेकर से जो सेवाएं देते हैं उनके बारे में भी लोगों को पता चला है। अब हम अधिक संभावना वाले ग्राहक भी देख पा रहे हैं।

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