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महिलाओं के विकास को स्वर देने वाली गीता राव को मिला अहम पद

भारतीय मूल की अमेरिकी गीता राव को वैश्विक महिला मामलों के दूतावास प्रभारी नियुक्त किया गया है। गीता महिलाओं के अधिकारों और उनके आर्थिक उत्थान को लेकर मुखर रही हैं। गीता का मानना है कि महिलाओं की तरक्की से ही तभी कोई देश समृद्ध, शांतिपूर्ण और स्थिर हो सकता है।

2015 में नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ गीता राव। (फोटो : ट्विटर @AskTamal)

भारतीय मूल की अमेरिकी गीता राव गुप्ता को अमेरिकी सीनेट ने विदेश मंत्रालय में वैश्विक महिला मामलों के दूतावास प्रभारी नियुक्त करने की पुष्टि की है। गीता के नाम की पुष्टि अमेरिकी सीनेट ने इस सप्ताह की शुरुआत में 47 के मुकाबले 51 मतों से की थी। भारत के मुंबई में जन्मीं गीता राव गुप्ता ने बेंगलुरु विवि से मनोविज्ञान में पीएचडी की हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एमए किया है। उनका जीवन महिलाओं के विकास के मुद्दे पर पूरी तरह से समर्पित है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार को एक ट्वीट में यह जानकारी दी। विभाग की तरफ से बताया गया है कि गीता अमेरिकी विदेश नीति के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं।  

इस मौके पर गीता राव ने कहा कि दुनिया भर में महिलाओं को कई असमानताएं और अपमान का सामना करना पड़ता है, जो उन्हें अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से भाग लेने से रोकती हैं। संघर्ष, आपात स्थिति और मानवीय संकट की स्थितियों में महिलाएं विशेष रूप से कमजोर नजर आती हैं। लेकिन गीता राव का मानना है कि जब महिलाओं के पास आर्थिक सुरक्षा होती है और वे अपने समाजों में भाग लेने में पूरी तरह से सक्षम होती हैं, तभी कोई देश अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण और स्थिर हो सकता है।

गीता के मुताबिक मुझे अमेरिकी नागरिक और पहली पीढ़ी का प्रवासी होने पर गर्व है। गीता का कहना है कि पिछले तीन दशकों विभिन्न पदों पर रहते हुए और अपने काम के दौरान मैंने सीखा है कि आर्थिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत सुरक्षा की गारंटी महिलाओं को समृद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं। और जब वे ऐसा करती हैं तो उनके परिवार, समुदाय और राष्ट्र भी ऐसा ही करते हैं।

गीता के मुताबिक यही कारण है कि मैंने ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों की वकालत करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है जिससे महिलाओं और लड़कियों को अपनी आर्थिक और नेतृत्व क्षमता को विकसित करने का अवसर मिले। साथ ही वे हिंसा या भेदभाव के डर के बिना सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकें। गुप्ता ने कहा कि जब से 2009 में वैश्विक महिला मुद्दों के लिए राजदूत पद स्थापित किया गया था, तब से यह मुद्दा अमेरिकी विदेश नीति की प्राथमिकता रहा है।

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