भारत स्थित दक्षिणी राज्य केरल के छोटे से गांव में रहने वाले अर्जुन ने कभी नहीं सोचा था कि बड़ा होकर वह अमेरिका जाएगा और पढ़ाई करके नाम कमाएगा। लेकिन किस्मत के खेल निराले होते हैं। एक समय अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने वाला अर्जुन आज अमेरिका की मशहूर उटा स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा है। उसका लक्ष्य इदाहो नेशनल लैब में प्रोजेक्ट इंजीनियर बनना है।
अर्जुन को बचपन से ही फिजिक्स में दिलचस्पी थी। केरल के गांव अवीतानुल्लूर स्कूली पढ़ाई के दौरान ही उसे साइंस से प्यार हो गया था। उसने स्टेट साइंस फेयर में हिस्सा लिया और टॉप ग्रेड हासिल किए। स्कूल के दिनों में खर्च निकालने के लिए उसने अखबार भी बेचे। अमेरिका जाने का ख्वाब तो उसके सपने में भी नहीं आता था। बस वह ये चाहता था कि एक अच्छी जिंदगी जिए।
अर्जुन ने 12वीं पास करने के बाद पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी में पांच साल के फिजिक्स प्रोग्राम में दाखिला ले लिया। तिरुवनंतपुरम में आईआईएससी से इंटर्नशिप की। यूनिवर्सिटी में अर्जुन ने एसएफआई की तरफ से छात्र संघ चुनाव भी लड़े और दो बार जीत हासिल की। डिग्री हासिल करने के बाद अर्जुन ने चेन्नई में मैथ्स और फिजिक्स पढ़ाना शुरू किया। इसी से उसने अपनी बहन की पढ़ाई भी कराई।
पढ़ाई के दौरान ही सहपाठियों ने उसे विदेशी यूनिवर्सिटी से पीएचडी के बारे में बताया। लेकिन समस्या थी एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी और अच्छा मेंटर कैसे खोजा जाए। कड़ी मेहनत से तलाश रंग लाई। उसे उटा स्टेट यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला मिल गया। 2.22 लाख डॉलर (करीब 1.83 करोड़ रुपये) की अच्छी खासी स्कॉलरशिप भी मिली। लेकिन अब समस्या ये थी कि अर्जुन के पास अमेरिका जाने के प्लेन टिकट खरीदने तक के पैसे नहीं थे। इस काम में प्रोफेसर सुधा ने उसकी मदद की। सुधा केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में जूलोजी विभाग की हेड हैं।
अमेरिका में पीएचडी करते हुए अर्जुन को टेस्ला से सीनियर इंजीनियर की मोटी सैलरी वाली जॉब ऑफर हुई। अर्जुन ने पीएचडी करने के लिए उस शानदार नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया। हाल ही में अर्जुन ने इदाहो नेशनल लैबरेटरी में प्रोजेक्ट असिस्टेंट के रूप में काम शुरू किया है।
भारत से बड़ी संख्या में छात्र अमेरिका में पढ़ने के लिए आते हैं। उनके लिए अर्जुन ने सलाह देते हुए कहा कि दूसरों की देखादेखी कोर्स जॉइन नहीं करना चाहिए। पहले अपनी रुचि देखे, फिर उसके हिसाब से कोर्स चुनें। बहुत से विश्वविद्यालय स्कॉलरशिप ऑफर करते हैं जिससे पढ़ाई का खर्च कम हो जाता है। अर्जुन की मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आज उसकी बहन ऐश्वर्या भी विदेश में अपना करियर संवार रही है। ऐश्वर्या यूके में माइक्रोबायोलोजी में पीजी कर रही है।
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