अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिन वैज्ञानिकों और इनोवेटर्स को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया है, उनमें एमआईटी के चार साइंटिस्ट हैं। इनमें भारतीय मूल के सुब्रा सुरेश नेशनल मेडल ऑफ साइंस पुरस्कार प्रदान किया गया है।
Four from MIT awarded National Medals of Technology, Science: James Fujimoto, Eric Swanson, and David Huang are recognized for their technique to rapidly detect diseases of the eye; Subra Suresh is honored for his research and collaboration across borders. https://t.co/7qg57ayBas pic.twitter.com/VeiP4g6xiu
— Massachusetts Institute of Technology (MIT) (@MIT) October 24, 2023
पुरस्कार पाने वालों में सुब्रा सुरेश के अलावा जेम्स फुजीमोटो, एरिक स्वैन्सन और डेविड हुआंग शामिल हैं। जेम्स फुजीमोटो एलिहू थॉम्सन में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और रिसर्च लैब ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स (आरएलई) के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर हैं। उन्हें नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलोजी एंड इनोवेशन पुरस्कार दिया गया है।
उनके साथ यह पुरस्कार साझा करने वाले एरिक स्वैन्सन एमआईटी के देशपांडे सेंटर फॉर टेक्नोलोजिकल इनोवेशन में मेंटर और आरएलई के रिसर्च एफिलिएट हैं। इनके अलावा डेविड हुआंग को भी राष्ट्रपति बाइडेन ने पुरस्कृत किया है। हुआंग ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में नेत्र विज्ञान के प्रोफेसर हैं।
सुब्रा सुरेश की बात करें तो एमआईटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के पूर्व डीन और वनेवर बुश के प्रोफेसर एमिरेट्स हैं। प्रोफेसर सुरेश को अनुसंधान, शिक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और मटीरियल साइंस के अध्ययन के साथ अन्य विषयों में इसके अनुप्रयोग को आगे बढ़ाने के लिए ये पुरस्कार प्रदान किया गया है।
1956 में भारत में जन्मे सुरेश ने 25 साल की उम्र तक स्नातक, परास्नातक और पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली थी। उन्होंने एमआईटी से केवल दो वर्षों में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर ली थी।
1983 में वह ब्राउन विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग में सबसे कम उम्र के सदस्य बने थे। ब्राउन विश्वविद्यालय में 10 साल काम करने के बाद उन्होंने नेशनल साइंस फाउंडेशन की कमान संभाली। ऐसा करने वाले वह एशियाई मूल के पहले अमेरिकी थे।
एमआईटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के डीन अनंत चंद्रकासन ने कहा कि मटीरियल साइंस में प्रो. सुरेश की उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। उनके अनुसंधान ने विभिन्न क्षेत्रों में और सीमाओं से परे लोगों को लाभ पहुंचाया है। शैक्षिक समुदाय में भी अमिट छाप छोड़ी है।
अनंत ने कहा कि चाहे एमआईटी में इंजीनियरिंग के डीन की भूमिका हो या नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक या फिर कार्नेगी मेलोन यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट के रूप में प्रो सुरेश का इंजीनियरिंग में अहम योगदान रहा है।