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बैक्टीरिया के खिलाफ कैसे ‘हथियार’ बन लड़ती है हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली?

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक डॉ. अनुकृति माथुर का कहना है कि मेरा अंतिम लक्ष्य प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति का उपयोग करने के तरीके खोजना है जो संक्रामक रोगों लड़ने और उन्हें परास्त करने में मदद कर सकता है।

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) में जॉन कर्टिन स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च (JCSMR) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुकृति माथुर ने इस शोध पर प्रमुखता से काम किया है। (फोटो : ट्विटर @OfSceinces)

हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के अंदर एक प्रोटीन का उपयोग एक आम बैक्टीरिया के खिलाफ ‘हथियार’ के रूप में किया जा सकता है। हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह प्रोटीन संभावित घातक बैक्टीरिया का पता लगाने और चेतावनी देने में मदद करता है।

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) में जॉन कर्टिन स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च (JCSMR) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुकृति माथुर ने इस शोध पर प्रमुखता से काम किया है। उनका कहना है कि मेरा अंतिम लक्ष्य प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति का उपयोग करने के तरीके खोजना है जो संक्रामक रोगों लड़ने और उन्हें परास्त करने में मदद कर सकता है। डॉ. अनुकृति को उम्मीद है कि उनका काम प्रतिरक्षा प्रणाली के ज्ञान में अंतर को और कम कर सकता है। उन्हें अपनी प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा।

वर्ष 2022 में डॉ. माथुर को उनकी पीएचडी थीसिस ‘माइक्रोबियल एक्टिवेटर्स ऑफ द इनफ्लैमेसोम’ के लिए उत्कृष्ट शोध से सम्मानित किया गया था। उनका शोध यह समझने पर केंद्रित था कि हमारे शरीर के अंदर मौजूद जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली जीवाणु और विषाक्त पदार्थों को पहचानने के लिए कैसे काम करती है। वह संक्रामक रोगों और कोलोरेक्टल कैंसर में जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली के आणविक तंत्र पर शोध कर रही हैं।

डॉ. अनुकृति का कहना है कि शोध के दौरान हमने पाया कि बैक्टीरिया दो विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करता है जो अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं और शरीर पर हमला करते हैं। पहले तरीके में यह विषाक्त पदार्थ कोशिका की सतह में छेद करता है। दूसरा कोशिका में प्रवेश करता है और कोशिका की आंतरिक संरचनाओं को नुकसान पहुंचाता है। गंभीर मामलों में यह गैंग्रीन सहित घातक संक्रमण पैदा करने के लिए भी जिम्मेदार है।

वैज्ञानिकों ने एनएलआरपी 3 की घरेलू सुरक्षा प्रणाली का उपयोग करके इन विषाक्त पदार्थों का पता लगाने में ‘फायर डिटेक्टर’ की क्षमता का वर्णन किया है। एएनयू के वैज्ञानिकों ने एनएलआरपी 3 द्वारा शुरू की गई प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षात्मक प्रतिक्रिया को कम करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया। इससे उन्हें आणविक तंत्र को समझने में मदद मिली जो विषाक्त पदार्थों को प्रोटीन के अलार्म सिस्टम को ट्रिगर करने का कारण बनता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन तंत्रों को बेहतर ढंग से समझकर वैज्ञानिक बैक्टीरिया को हराने के लिए नए उपचार पद्धति को विकसित करने के तरीकों को खोजना शुरू कर सकते हैं। जिसके लिए वर्तमान उपचार विकल्प सीमित हैं और बहुत प्रभावी नहीं हैं।

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