अमेरिका में 6 दिसंबर को हुए सीनेट के चुनाव में डेमोक्रेट्स को जीत दिलाने के लिए सैकड़ों भारतीय अमेरिकी जॉर्जिया में एकजुट हुए थे। ये लोग घर-घर दस्तक देकर और हाथ से लिखे पोस्टकार्ड बांटकर मतदाताओं से डेमोक्रेट्स के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे थे। इस चुनाव में डेमोक्रेट्स को सीनेट में 51-49 का बहुमत प्राप्त हुआ था।
डेमोक्रेट्स को 7 नवंबर को हुए मध्यावधि चुनाव में सदन में हार का सामना करना पड़ा था लेकिन यह हार केवल 10 सीट के अंतर से थी। यह अंतर उस अनुमान से कहीं कम था जिसकी संभावना जताई जा रही थी। भारतीय अमेरिकी नेताओं ने उम्मीद जताई थी कि डेमोक्रेट्स का सीनेट में बहुमत पाने का रुख जारी रहेगा।
साउथ एशियंस फॉर अमेरिका में कम्युनिटी ऑर्गेनाइजिंग कमेटी की अध्यक्ष हरिणि कृष्णन का कहना है कि दक्षिण एशियाई अमेरिकी वोटों और हमारे जमीन पर किए गए प्रयासों ने इस चुनावी रेस में जीत का अंतर घटाने में अहम भूमिका निभाई है। इसी की बदौलत आखिरकार एक बार फिर से डेमोक्रेट्स अच्छी स्थिति में आ गए हैं।
जॉर्जिया में चुनावी जंग डेमोक्रेट उम्मीदवार राफेल वारनॉक और रिपब्लिकन हर्शल वॉकर के बीच थी। 8 नवंबर की चुनावी रात को कोई भी जीत हासिल नहीं कर पाया था जिसके बाद रनऑफ की स्थिति बनी थी। अंतिम परिणाम में वॉरनाक को करीब 18 लाख वोट मिले थे जबकि हर्शल वॉकर के खाते में 17 लाख वोट आए थे।
कृष्णन का कहना है कि शुरुआती डाटा के अनुसार 83 प्रतिशत भारतीय अमेरिकी और 96 प्रतिशत बांग्लादेशी मूल के मतदाताओं ने वारनॉक के पक्ष में वोट किया था। उन्होंने कहा कि जॉर्जिया बहुत प्रतिस्पर्धी राज्य है और इस राज्य में एक लाख से अधिक दक्षिण एशियाई और ढाई लाख से अधिक एशियाई अमेरिकी लोग रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम बीते समय में भी जीत का अंतर रहे हैं और हम आसानी से एक बार फिर वह अंतर बन सकते हैं।