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नीदरलैंड्स: यूरोप में भारतीयों का दूसरा बड़ा बसेरा, संस्कृति को भी संजोए हुए हैं

नीदरलैंड्स में भारतीय समुदाय की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। यह 2.5 लाख से अधिक भारतीय समुदायों औऱ 200 भारतीय कंपनियों का घर है।

दुनिया का शायद ही कोई देश है जहां भारतीयों न दस्तक न दी हो। विदेशों में रह रहे भारतीयों की संख्या 3 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है जबकि कई देश ऐसे है जिनकी कुल जनसंख्या भी इतनी नहीं है। अब यूरोपीय देश नीदरलैंड्स को लें, जिसकी कुल जनसंख्या 1.75 करोड़ है, जिसमें ढाई लाख आबादी भारतीय समुदाय की है। भारतीय समुदाय आबादी के मामले में नीदरलैंड्स यूरोप में ब्रिटेन के बाद दूसरे स्थान पर है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते नीदरलैंड्स के प्रवासी भारतीय।

नीदरलैंड्स में भारतीयों की दस्तक का इतिहास

अवसर की तलाश करते हुए भारतीय 40-50 के दशक में नीदरलैंड्स में बसने लगे थे, जब पंजाब के कारोबारियों ने अपने व्यवसाय को विस्तार देने का मन बनाया। हालांकि नीदरलैंड्स में पहले से भारतीय-सूरीनाम मूल के नागरिक रह रहे थे, जिन्हें सूरीनाम की आजादी के बाद डट पासपोर्ट मिल गया था। ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि जब डचों ने सूरीनाम में दास प्रथा खत्म करने का फैसला किया तो नीदरलैंड्स की सरकार ने ब्रिटेन के साथ ठेके पर कामगार भर्ती करने की संधि की। इसके बाद भारत जो कि उस वक्त ब्रिटिश सरकार के अधीन था, से कामगार सूरीनाम जाने लगे। इनमें अधिकांश यूपी, बिहार और पड़ोसी राज्यों से थे। 1975 में जब सूरीनाम आजाद हुआ तो भारत-सूरीनाम मूल के नागरिक औपचारिक रूप से नीदरलैंड्स के नागरिक बन गए और बड़ी संख्या में भारत-सूरीनाम मूल के नागरिक नीदरलैंड्स में बस गए। नीदरलैंड्स में भारतीय मूल की नागरिकों की संख्या 1980 में एक बार और बढ़ गई जब सूरीनाम में सैन्य विद्रोह हुआ। लोगों ने अपनी सुरक्षा के नीदरलैंड्स में बसने का फैसला कर लिया।

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