प्राचीन समय से ही भारत के शिक्षण संस्थान दुनिया में शिक्षा का केंद्र रहे हैं लेकिन बदलते समय के साथ भारतीय छात्रों में विदेशी डिग्री का आकर्षण बढ़ने लगा और भारतीय बच्चे शिक्षा के दम पर दुनिया भर के कई देशों में अपना परचम लहराने लगे। दूसरी ओर आज भी विदेश में रह रहे भारतीय अपने बच्चों को भारत की मिट्टी से जोड़ने के लिए वहां पढ़ने भेजने में रुचि लेते हैं। उनकी इसी ख्वाइश को पूरा करती है भारत सरकार की पहल DASA यानी डायरेक्ट एडमिशन ऑफ स्टूडेंट्स अब्रॉड । DASA एनआरआई, विदेशी नागरिक और भारतीय मूल के नागरिक (पीआईओ) की श्रेणी में आने वाले स्टूडेंट को आईआईआईटी और एनआईटी में पढ़ने का अवसर देता है। DASA योजना की शुरुआत से लेकर अब तक सऊदी, यूएई, नेपाल, ओमान, मलेशिया, कतर,कुवैत औऱ श्रीलंका के कई बच्चों ने भारतीय संस्थानों से इंजीनियरिंग करने में रुचि दिखाई है।
जब इस योजना की आधारशिला रखी गई तो प्रवेश परीक्षा को बहुत ही आसान बनाया गया था, जिसमें SAT परीक्षा के तहत दाखिला मिलता था। इस परीक्षा के सवाल 10वीं और 12वीं के आधार पर बनाए जाते थे। प्रवासी बच्चों को SAT की परीक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ लेवल-2 से जुड़े सवाल के जवाब देने होते हैं। इस परीक्षा में क्वॉलिफाई होने के बाद उन्हें बाकी भारतीय बच्चों को तरह एनआईटी,आईआईआईटी में पढ़ने का मौका मिलता है। अगर किसी बच्चे ने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई अच्छे से की हो तो उसके लिए यह टेस्ट पास करना मुश्किल नहीं होता।