भारत का केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी यूनेस्को की विश्व धरोहर शहर का खिताब पाने की कोशिश में है। लेकिन क्या किसी भी शहर को विश्व धरोहर घोषित किया जा सकता है? कोई शहर कब हेरिटेज सिटी बन सकता है? हेरिटेज सिटी बाकी शहरों से कैसे अलग होती है? ये सवाल हमारे जहन में तब आते हैं जब हम गुजरात का अहमदाबाद शहर इस सूची में पाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि एक हेरिटेज सिटी वास्तव में क्या है?
क्या होती है हेरिटेज सिटी
हेरिटेज सिटी का दर्जा हासिल करने के लिए जरूरी नहीं कि उस शहर में कोई स्मारक या स्थान का पुराना इतिहास हो। इसके लिए पूरा शहर ऐतिहासिक होना जरूरी है। आसान भाषा में समझें तो ऐसा शहर जिसका इतिहास और उसकी समृद्ध विरासत पूरे शहर में महसूस होती हो और उस शहर के स्थानीय लोग भी उस विरासत को सजोंकर रखते हों।
अहमदाबाद है हेरिटेज सिटी
दीवारों से घिरे अहमदाबाद शहर या पुराने अहमदाबाद को ही लें। यह 600 साल पुराना शहर है जो 5.43 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां लोग सदियों पुराने लकड़ी के घरों में रहते हैं। चारदीवारी वाले शहर के भीतर लगभग 600 पोल या पड़ोस हैं। कुछ इसी तरह की कहानी पुडुचेरी की है। पुडुचेरी तमिल और औपनिवेशिक सार का एक आकर्षक मिश्रण है।
जब आप पुडुचेरी में पुराने फ्रेंच क्वार्टर में जाते हैं तो विदेशी चेहरों को देखना एक आम बात है। लेकिन सभी विदेशी चेहरे पर्यटकों के नहीं होते। उनमें से अधिकांश यहां के स्थानीय लोग हैं जो पीढ़ियों से पुडुचेरी में रह रहे हैं। लोगों के अलावा यह पुरानी फ्रांसीसी वास्तुकला और जीवंतता है जो हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है।
तो क्या सिर्फ यह फांसीसियों की नगरी है?
जवाब है नहीं। पुडुचेरी में तमिलों का भी अपना इतिहास है। यह ध्यान रखना अनिवार्य है कि वर्तमान में पुडुचेरी एक नवीनीकृत शहर है। पुराने पांडिचेरी को पूरी तरह से बदलने के बाद ब्रिटिश और फ्रेंच दोनों ने वर्तमान शहर का निर्माण किया। पहले 'ब्लैक' और 'व्हाइट' टाउन या फिर कहें तमिल और फ्रेंच क्वार्टर हुआ करते थे। सदियों के बाद भी तमिल और फ्रांसीसी अपने-अपने क्वार्टर में रहते रहे। ये दो पूरी तरह से अलग दुनिया हैं जो पुडुचेरी को इतनी अविश्वसनीय जगह बनाती हैं।
फांसीसी इलाके में जनसंख्या नहीं बढ़ी जबकि तमिल इलाका व्यस्त होता गया। इससे कई पुराने तमिल पारंपरिक घरों को नुकसान हुआ। अब उनमें सदियों पुराने तमिल घरों मुट्ठी भर ही बचे हैं। यह भी सच है कि फ्रांसीसी पक्ष तेजी से विकसित हो रहा है क्योंकि यहां रोजाना हजारों पर्यटक आते हैं।
आपको बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा हासिल करने के लिए यूनेस्को के दिशानिर्देश कहते हैं कि यूनेस्को न केवल निर्मित विरासत को ध्यान में रखता है बल्कि उस स्थान के सांस्कृतिक मूल्य जैसे अमूर्त विरासत को भी ध्यान में रखता है। ऐसे में अब आप सोचिए कि क्या पुडुचेरी अपनी वास्तुकला और अमूर्त विरासत को बनाए रख सकता है और यूनेस्को की विश्व धरोहर शहर का प्रतिष्ठित टैग प्राप्त कर सकता है?