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पुष्कर का यह मंदिर: जहां जगत-पिता ब्रह्मा स्वयं यज्ञ के लिए उतरे थे धरती पर

पुष्कर घाटी में विराजित ब्रह्मा मंदिर का दर्शन पुष्कर सरोवर में स्नान के बिना पूरा नहीं माना जाता। इस सरोवर का भी उतना ही महत्व है जितना की ब्रह्मा मंदिर की। ऐसी कि किवंदितियां है कि ब्रह्मा के हाथ से कमल का फूल धरती पर गिरने के बाद इस सरोवर का निर्माण हुआ था।

एक धार्मिक स्थल जिसकी पहरेदारी खुद सूर्य भगवान करते हैं और एक पवित्र स्थल जिसे खुद जगतपिता ब्रह्मा ने अपने मंदिर के लिए चुना। यह है पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर। यह दुनिया में ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर है जिसके गर्भगृह में ब्रह्मा के चार सिरों वाली प्रतिमा स्थापित है और सूरज प्रहरी के रूप में द्वार पर खड़े हैं। दुनियाभर में आपने देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को बिना जूते का देखा होगा, लेकिन यहां सूरज योद्धा वाले जूते में नजर आते हैं। सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा का यह मंदिर दुनिया के 10 सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है और हिंदुओं के पांच सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है।

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर मंदिर के दर्शन से पहले आप इसकी कुछ बारीकियां जान लें तो सफर सुहाना हो जाएगा, जो हम आपको यहां बता रहे हैं।

मंदिर का इतिहास और वास्तुकला

मंदिर के समयकाल की बात की जाए तो यह कोई 2000 वर्ष पुराना है। आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया था, लेकिन आज हम जिस मंदिर को देखते हैं, उसे रतलाम के महाराज जावत राज ने तैयार करवाया था। उन्होंने न सिर्फ इसकी मरम्मत करवाई थी बल्कि इसमें थोड़ा बदलाव भी किया था। मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो इसे संगमरमर से बनाया गया है और सिक्कों से सजाया गया है। इसकी दीवारों का रंग गहरा नीला और शिखर का रंग लाल है जिससे यह काफी दूर से ही नजर आता है।

मंदिर का प्रवेश द्वार।

इस सरोवर में लगाएं डुबकी, ब्रह्मा से है नाता

पुष्कर घाटी में विराजित ब्रह्मा मंदिर का दर्शन पुष्कर सरोवर में स्नान के बिना पूरा नहीं माना जाता। इस सरोवर का भी उतना ही महत्व है जितना की ब्रह्मा मंदिर की। ऐसी किवंदितियां है कि ब्रह्मा के हाथ से कमल का फूल धरती पर गिरने के बाद इस सरोवर का निर्माण हुआ था। यह धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित पंच सरोवर- मानसरोवर, बिंदु सरोवर, नारायण सरोवर, पम्पा सरोवर और पुष्कर सरोवर में से एक है। इन सभी में पुष्कर सरोवर को सबसे अधिक पवित्र माना गया है।

जब भगवान ब्रह्मा की पूजा के लिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर मेले का आयोजन होता है उस दिन लोग इसी सरोवर में डुबकी लगाकर जगतपिता के दर्शन के लिए जाते हैं। अर्धचक्राकर इस 'तीरथ राज ' सरोवर के चारों ओर 400 से अधिक मंदिर हैं। इस सरोवर का सेहत की दृष्टि से भी काफी महत्व है। ब्रह्मा जी के भक्त ऐसा मानते हैं कि इसमें स्नान करने से त्वचा की बीमारी ठीक हो जाती है। आधुनिक समय में सरोवर में  52 घाट बनाए गए हैं ।

पुष्कर झील।

दिल्ली और जयपुर से लें रोड ट्रिप का मजा

राजस्थान धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का केंद्र है। हर साल लाखों सैलानी यहां के मंदिरों, महलों और किलों के दर्शन करने देश-विदेश से आते हैं। अगर आप भी राजस्थान घूमने की योजना बना रहे हैं तो आप राजस्थान टूरिज्म या किसी प्राइवेट ट्रैवल एजेंसी के पैकेज बुक कर सकते हैं। अगर आप अबु-धाबी, शारजाह, सिंगापुर, दुबई और मस्कट में रहते हैं, तो वहां से जयपुर तक सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें आती हैं। जयपुर, पुष्कर का नजदीकी एयरपोर्ट है जो कि 146 किलोमीटर दूर है। वहीं, अगर आप इन देशों में नहीं रहते तो आपके लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पर उतरना सही विकल्प होगा। यहां से पुष्कर की दूरी 400 किलोमीटर है और सड़क के रास्ते 6.30 घंटे में आप पुष्कर पहुंच सकते हैं।

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