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शख्सियत: दूसरे देश के राष्ट्रपति, संस्कृत में ली थी शपथ, भारत से है लगाव

सूरीनाम की आबादी छह लाख है और इसमें एक चौथाई नागरिक भारतीय मूल के हैं। राष्ट्रपति संतोखी का परिवार भी इन्हीं में से एक है। संतोखी के राजनीतिक करियर ने तब रफ्तार पकड़ी जब 2005 उनकी पार्टी की जीत के बाद उन्हें न्याय और पुलिस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' की बात में जिनका जिक्र करते हैं, वह शख्स जो अपने देश में भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी के अगुवा हैं, वह जो भारत से दूर रहकर भी भोजपुरी और संस्कृत से जुड़े हुए हैं, हम आज बात कर रहे हैं सूरीनाम में भारतीय मूल के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी की, जिनकी भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था है। वह स्थानीय लोगों के साथ ईद और ईस्टर मनाते हैं तो नवरात्र पर मंदिर में जोत भी जलाते हैं। इस लेख में राष्ट्रपति संतोखी के राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन पर रोशनी डालेंगे।

हिंदू परिवार में जन्में संतोखी

सूरीनाम की आबादी छह लाख है और इसमें एक चौथाई नागरिक भारतीय मूल के हैं। राष्ट्रपति संतोखी का परिवार भी इन्हीं में से एक है। संतोखी का जन्म लिलीड्रॉप शहर के हिंदू परिवार में वर्ष 1959 में हुआ था। वह अपने 9 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके माता-पिता कामकाजी थे। पिता बंदरगाह में और मां एक दुकान में काम करती थीं। राष्ट्रपति चुनाव के बाद संतोखी ने 19 जुलाई 2020 को लंबे समय तक उनकी पार्टनर रही मेलिसा से शादी की थी। हालांकि यह उनकी दूसरी शादी है।

हिंदू धर्म में गहरी आस्था रखने वाले राष्ट्रपति संतोखी नवरात्र पर मंदिर पहुंचे।

राजनीतिक करियर: इस तरह भारतीय समुदाय का नेता बना राष्ट्रपति

संतोखी पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज थे और स्कॉलरशिप पाकर उच्च शिक्षा के लिए नीदरलैंड गए थे। उन्होंने वहां चार साल तक पुलिस अकैडमी में ट्रेनिंग ली और वापस अपने देश लौटकर 1982 में देश की पुलिस सेवा से जुड़ गए। 1991 तक आते-आते वह पुलिस आयुक्त के रूप में पदोन्नत हो गए थे। पुलिस सेवा से मुक्त होने के बाद संतोखी ने प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी जॉइन कर ली। यह सूरीनाम की समृद्ध भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है जिसे पहले यूनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी भी कहा जाता था।

संतोखी के राजनीतिक करियर ने तब रफ्तार पकड़ी जब 2005 उनकी पार्टी की जीत के बाद उन्हें न्याय और पुलिस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। पुलिस करियर में उनके अनुभव को देखते हुए यह मंत्रालय उन्हें दिया गया था। उन्होंने पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरकर दिखाया और उनके कार्यकाल में देशभर में अपराधों पर विशेषकर ड्रग तस्करी करने वालों पर लगाम लगाई गई।

बिहार दिवस राष्ट्रपति संतोखी ने कार्यक्रम को भोजपुरी में संबोधित कर वाहवाही बटोरी थी। 

संतोखी का राजनीति में कद धीरे-धीरे बढ़ता गया। जुलाई 2010 में उन्हें सत्ताधारी गठबंधन द्वारा ऱाष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया गया। एक साल बाद 2011 में प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी ने उन्हें अपना अध्यक्ष नियुक्त किया। यह अब विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व करती है। वर्ष 2020 तक आते-आते वह देश की राजनीति में काफी बड़ा चेहरा बन गए थे। उनके नेतृत्व में प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी ने  सैन्य नेता डेसी बॉउटर्स की नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम को शिकस्त दी थी जो कि आर्थिक संकट के मुद्दे पर सत्ता से बाहर हो गई। इस जीत के बाद जुलाई 2020 में संतोखी निर्विरोधी राष्ट्रपति चुन लिए गए।

भारत को यूं बनाया अपना मुरीद

संतोखी के लैटिन अमेरिकी देश के राष्ट्रपति चुने जाने से भारत के पूर्वांचल क्षेत्र में जश्न का माहौल था। वहीं, उन्होंने पूरे भारत का ध्यान उस वक्त खींचा जब उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ संस्कृत में ली। यह न केवल उनके संस्कृत ज्ञान को दर्शाता है बल्कि भारतीय संस्कृति से उनके जुड़ाव का उदाहरण पेश करता है। जुलाई 2020 के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में जब उनका जिक्र कर उन्हें बधाई दी, तो संतोखी की उपलब्धि भारत के जन-जन तक पहुंच गई।

संतोखी 2021 में प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। कोविड महामारी के कारण प्रवासी भारतीय दिवस का वर्चुअल आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम में भी संतोखी भारतीयों का दिल जीतने में कामयाब रहे, जब उन्होंने भोजपुरी में अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मेरे प्यारे प्यारे भारतीय प्रवासी भइया-बहना लोगन, हमार ओर से आप लोगन का राम जोहर पहुंचे, का हाल बा? हमार देश सूरीनाम की ओर से इस प्रवासी भारतीय दिवस पर हृदय से अभिनंदन प्रस्तुत करिला।' इस संबोधन से संतोखी ने तो भारतीयों को अपना मुरीद ही बना लिया।

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