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Google के 'किंग ऑफ द रैंकिंग' अब गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे

15 साल तक गूगल में एग्जीक्यूटिव स्तर पर काम करने के बाद उन्होंने इस शानदार नौकरी को अलविदा कह दिया और समुदाय की सेवा के काम में जुटने का फैसला किया।

पीएचडी की डिग्री और इन्फॉर्मेशन रिट्रीवल में चार साल के अनुभव के साथ डॉ. अमित सिंघल साल 2000 में दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल से जुड़े थे। यहां कुछ दिन काम करने के बाद ही उन्होंने पाया कि गूगल के संस्थापकों ने जो कोड विकसित किया था उसमें कमी थी। इसके बाद महज दो महीने में उन्होंने उसके एल्गोरिद्म को फिर से लिख डाला। उनके इस काम ने रैंकिंग और सर्च परिणामों की प्रासंगिकता को पूरी तरह से बदल डाला था।

इस काम के लिए उन्हें गूगल फेलो नामित किया गया था। इस सम्मान की कीमत लाखों डॉलर थी।

इस काम के लिए उन्हें गूगल फेलो नामित किया गया था। इस सम्मान की कीमत लाखों डॉलर थी। इसके साथ ही सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में स्थित गूगल के परिसर में उन्हें 'किंग ऑफ द रैंकिंग' बुलाया जाने लगा। 15 साल तक गूगल में एग्जीक्यूटिव स्तर पर काम करने के बाद उन्होंने इस शानदार नौकरी को अलविदा कह दिया और समुदाय की सेवा के काम में जुटने का फैसला किया।

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