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3000 Km का सफर तय कर भारत के गली-मौहल्ले तक पहुंचा है 'मोमोज'

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में मोमोज का मतलब स्टीम्ड तिब्बती डिश बताया गया है जिसे मीट और सब्जियों को मिलाकर तैयार किया जाता है। मोमोज के व्यंजन सबसे पहले नेपाल के काठमांडू में मिले थे।

Photo by shiv singh / Unsplash

मोमोज आज भारत में बहुत ही लोकप्रिय व्यंजन है। वेज हो या नॉनवेज मोमोज, हर उम्र के लोग इसका स्वाद लेते हैं। यह एक ऐसी डिश है जो भारत में हर जगह मिल जाएगी। सिर्फ पटरी पर नहीं बल्कि व्यस्त बाजारों, मॉल, रेस्टरां और यहां तक कि दफ्तरों में भी यह डिश मेन्यू का हिस्सा है। गर्मी हो या सर्दी मोमोज को लेकर लोगों का उत्साह हर मौसम में एक जैसा ही रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोमोज को भारत पहुंचने में कितना समय लगा है? दरअसल इस डिश का मूल स्थान भारत से लगभग 3,000 किलोमीटर दूर है।

मोमोज एक तिब्बती डिश है। यह चीन के मालपुए से प्रभावित है। Photo by Ramanpreet Singh / Unsplash

कहां से आया मोमोज?

मोमोज एक तिब्बती डिश है। यह चीन के मालपुए से प्रभावित है। मोमोज ने नेपाल के रास्ते भारत की यात्रा की है। भारत में भी मोमोज ने सबसे पहले उत्तर पूर्वी राज्यों में अपना वजूद बनाया। इसके बाद जाकर मोमोज बाकी शहरों तक पहुंचा। आज यह स्ट्रीट फूड भारत का सबसे लोकप्रिय मेन्यू केटेगरी बन चुका है। मोमोज पहाड़ी राज्यों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल में भी काफी लोकप्रिय हैं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि तिब्बत से पहले भी मोमोज चीन में बनाए जाते थे। लेकिन वहां इसका रूप अलग था। मोमोज का शाब्दिक अर्थ होता है स्टीम्ड ब्रेड।

कहा तो यह भी जाता है कि मोमोज का व्यंजन सबसे पहले तिब्बत के ल्हासा में बनाया गया था। इसके बाद इस डिश के इंग्रेडिएंट्स बदलते रहे। मोमोज जब तिब्बत से नेपाल गए तो उन्हें बनाने का तरीका और सामग्री थोड़ी बदल गई। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में मोमोज का मतलब स्टीम्ड तिब्बती डिश बताया गया है जिसे मीट और सब्जियों को मिलाकर तैयार किया जाता है। मोमोज के व्यंजन सबसे पहले नेपाल के काठमांडू में मिले थे।

इन दिनों तेल में तले हुए मोमोज खाने का चलन भी काफी बढ़ रहा है। दिल्ली और दूसरे शहरों में फ्राइड मोमोज का चलन बढ़ गया है। Photo by ANIRUDH / Unsplash

माना जाता है कि तिब्बत के व्यापारी वहां से मोमोज काठमांडू लाए थे। हालांकि मोमोज डिश की उत्पत्ति के संबंध में सटीक जानकारी प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल है। दरअसल तिब्बत की संस्कृति और खान-पान पर चीनी और मंगोलों का प्रभाव रहा है। इसलिए कहा जाता है कि मोमोज भी चीन से तिब्बत आए थे। यह डिश भाप में बनाई जाती है।

तिब्बत मे सबसे ज्यादा खाया जाता है

मोमोज तिब्बत में सबसे ज्यादा खाए जाते हैं। शिलॉन्ग में मोमोज को मीट से तैयार किया जाता है और यहां के मोमोज भी काफी मशहूर हैं। शिलांग के अलावा अरुणाचल में भी मोमोज काफी लोकप्रिय हैं। यहां इस डिश को चाव से खाया जाता है। यहां इसे सरसों के पत्तों और अन्य सब्जियों से बनाया जाता है ताकि यह सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सके। मोमोज को चीन में डिम्सिम कहा जाता है। यहां इसे मीट में दूसरी सब्जियां डालकर बनाया जाता है। इसके अलावा इन दिनों तेल में तले हुए मोमोज खाने का चलन भी काफी बढ़ रहा है। दिल्ली और दूसरे शहरों में फ्राइड मोमोज का चलन बढ़ गया है।

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