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वैश्विक स्वास्थ्य संकट में भारत का अमोघ अस्त्र है योग, दुनिया ने जाना और माना

इस महीने की 21 तारीख को हम और पूरी दुनिया एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने वाले हैं। योग सिर्फ एक भारतीय आख्यान नहीं है। यह एक वैश्विक आख्यान है। एक स्वस्थ, अधिक संतुलित दुनिया बनाने में समग्र स्वास्थ्य और कल्याण की शक्ति का एक वसीयतनामा है।

Photo by Erik Brolin / Unsplash

वैश्विक राजनीति के विशाल रंगमंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल अपने शासन के माध्यम से बल्कि भारत की प्राचीन विरासत योग में गहराई से व्याप्त एक अभ्यास का समर्थन करके दुनिया पर अनूठी छाप छोड़ रहे हैं। यह केवल एक सांस्कृतिक निर्यात या व्यक्तिगत जुनून नहीं है। यह एक शक्तिशाली राजनीतिक बयान है। समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता का एक वसीयतनामा है और कल्याण के लिए एक अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने के लिए दुनिया का आह्वान है।

Photo by Joydeep Sensarma / Unsplash

आज दुनिया अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट से जूझ रही है। गैर-संचारी रोग (NCD) जैसे हृदय रोग, कैंसर, मोटापा और मधुमेह खतरनाक दर से जीवन पर घात कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर इन रोगों से वार्षिक मौतों का आंकड़ा 70 तक जा पहुंचा है। यह चौंकाने से ज्यादा डराने वाला है। इस जन-हानि का एक आर्थिक गणित भी है, जो अवश्य ही हैरान करता है। अनुमान के अनुसार 2030 तक 47 ट्रिलियन डॉलर के अनुमानित संचयी नुकसान के साथ आर्थिक बोझ समान रूप से चुनौतीपूर्ण है।

संयुक्त राज्य अमेरिका भी अन्य देशों की तरह गैर-संचारी रोगों में वृद्धि का सामना कर रहा है। इसमें जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह और विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जूझ रहा है। इन बीमारियों का आर्थिक बोझ बहुत अधिक है, क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल की लागत लगातार बढ़ रही है। इन्हीं चुनौतियों के मद्देनजर अब दुनिया स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के प्रति अपने दृष्टिकोण में आमूल-चूल परिवर्तन कर रही है। मुख्य रूप से रोग प्रबंधन पर केंद्रित वर्तमान स्वास्थ्य सेवा मॉडल को संशोधित करने की आवश्यकता है। इन हालात में हमें अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। ऐसा दृष्टिकोण जो बीमारी की रोकथाम के साथ ही मानवकल्याण पर जोर दे। और यहां योग एक अत्यधिक अहम भूमिका निभा सकता है।

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में दुनिया ने मान्यता दी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका प्रस्ताव दिया था, जिस पर 177 देशों ने अपने समर्थन की मुहर लगाई। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस केवल एक सांस्कृतिक विरासत का उत्सव नहीं है। यह एक शक्तिशाली राजनीतिक बयान है। योग दिवस को मिला व्यापक समर्थन वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव और महत्व का प्रमाण भी है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भारत के ठोस योगदान की दुनिया की स्वीकृति को दर्शाता है।

समग्र स्वास्थ्य पर जोर देते हुए योग कल्याण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। शरीर के साथ ही यह मन का भी व्यायाम है जो मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देता है। विभिन्न गैर-संचारी रोगों और उनके लक्षणों से निपटने में योग के लाभों पर कई अध्ययनों ने प्रकाश डाला है। महामारी और आर्थिक संकट के समय में योग गैर-संचारी रोगों के खिलाफ एक शक्तिशाली निवारक उपाय है जो वैश्विक बीमारी के बोझ और स्वास्थ्य देखभाल के खर्चों को कम करने के लिए व्यावहारिक समाधान प्रदान करता है।

योग की कथा आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में पारंपरिक ज्ञान की शक्ति का प्रमाण है। लेकिन योग और वैश्विक स्वास्थ्य का भविष्य हमारे आधुनिक जीवन में इस प्राचीन ज्ञान को अपनाने और एकीकृत करने की हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता पर निर्भर करता है। हम एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कगार पर खड़े हैं और प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेताओं द्वारा योग की राजनीतिक वकालत स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति हमारे दृष्टिकोण में बदलाव के लिए एक स्पष्ट आह्वान का कार्य करती है। यह योग की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानने और अपनाने के लिए दुनिया भर की सरकारों, स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और व्यक्तियों के लिए कार्रवाई का आह्वान है।

इस महीने की 21 तारीख को हम और पूरी दुनिया एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने वाले हैं। इस अवसर पर आइए हम इस प्राचीन प्रथा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सराहना करें और हमारे समय की कुछ सबसे अधिक दबाव वाली स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने की इसकी क्षमता को स्वीकार करें। याद रखें कि योग सिर्फ एक भारतीय आख्यान नहीं है। यह एक वैश्विक आख्यान है। एक स्वस्थ, अधिक संतुलित दुनिया बनाने में समग्र स्वास्थ्य और कल्याण की शक्ति का एक वसीयतनामा है।

योग का राजनीतिक समर्थन केवल सांस्कृतिक अभ्यास को बढ़ावा देने के लिए नहीं है। यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए है जो यकीनन हमारी वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में क्रांति ला सकता है। यह आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों को दूर करने और योग को व्यापक रूप से अपनाने की वकालत करने में पारंपरिक ज्ञान की शक्ति को पहचानने के बारे में है। योग का अभ्यास साबित करता है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और सपनों की जुगलबंदी से क्या-कुछ हासिल किया जा सकता है। योग मनुष्य के उस मानवीय गुण पर भी मुहर लगाता है जिसके दम पर उसने तमाम वैश्विक प्रतिकूलता का सामना करते हुए हर चुनौती पर विजय प्राप्त की है।

(Dr. Indranill Basu Ray: लेखक अमेरिकन एकेडमी फॉर योग इन मेडिसिन के संस्थापक अध्यक्ष हैं)

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