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विश्व हिंदी सम्मेलन में भारत के जयकारे; जयशंकर बोले, ये हिंदी का महाकुंभ

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के अनुसार, फिजी के प्रधानमंत्री रबूका ने उन्हें बताया कि शोले उनकी सबसे पसंदीदा फ़िल्म है और उसका गाना ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे … उन्हें विशेष रूप से प्रिय है।

12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो @DrSJaishankar) 

फिजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न हो गया। तीन दिन तक चले सम्मेलन के समापन समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उम्मीद जताई कि विश्व हिंदी सम्मेलन आने वाले समय में हिंदी का महाकुंभ बनेगा और हिंदी को विश्व भाषा बनाने में लगे हिंदी प्रेमियों को महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध कराएगा। सम्मेलन में 31 देशों के 1000 से अधिक हिंदी विद्वानों और लेखकों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह में देश–विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार और विकास में लगे 25 विद्वानों एवं संस्थाओं को सम्मानित किया गया।

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने फ़िजी के साथ सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती देने के कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि किस तरह से हिंदी वैश्विक भाषा बने और इस तरह का सम्मेलन एक ऐसा मंच बने जहां हिंदी से प्यार करने वाले लोग आपस में जुड़ सकें। उन्होंने बताया कि फिजी सरकार ने फिजी में हिंदी के साथ-साथ तमिल व अन्य भाषाओं की शिक्षा शुरू करने पर भी सहमति दे दी है।

बकौल जयशंकर, फिजी के प्रधानमंत्री रबूका को सत्तर के दशक में आई बॉलीवुड की लोकप्रिय फ़िल्म शोले बहुत पसंद है। भारतीय विदेश मंत्री के अनुसार, फिजी के प्रधानमंत्री रबूका ने उन्हें बताया कि शोले उनकी सबसे पसंदीदा फ़िल्म है और उसका गाना ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे … उन्हें विशेष रूप से प्रिय है।

सम्मेलन के समापन समारोह में भारत माता की जय के नारों के बीच फिजी के उप प्रधानमंत्री बीमन प्रसाद ने कहा कि अर्थव्यवस्था और राजनीति के मामले में भारत विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। विकासशील देशों में भारत बिग लीडर की भूमिका में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। डिप्टी पीएम ने कहा कि फिजी में पिछले कुछ 10-15 सालों में हिंदी के प्रचार-प्रसार और हिंदी को पढ़ाने के तरीके को कमजोर किया गया है लेकिन हमारी सरकार ने हिंदी को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

भारत के विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि सम्मेलन के दौरान 10 सत्रों में विभिन्न मसलों पर गंभीर चर्चा हुई और यह निष्कर्ष निकलकर आया कि हिंदी काफ़ी सशक्त भाषा है और तकनीक के साथ सामंजस्य बैठाने में सक्षम है। कृत्रिम मेधा जैसी प्रणालियों का समुचित उपयोग करते हुए हिंदी मीडिया, सिनेमा और जनसंचार के विविध माध्यमों ने हिंदी को विश्व भाषा के रूप में विस्तारित करने की संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं।

सम्मेलन के अंत में जारी प्रतिवेदन में कहा गया कि फिजी के नांदी नगर में आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सम्मिलित भारत और फिजी सहित विश्व के अन्य देशों के सभी प्रतिनिधियों का यह समवेत मत है कि कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का हिंदी के माध्यम से प्रयोग करके भारतीय ज्ञान एवं पारंपरिक प्रणालियों को विश्व की बड़ी जनसंख्या तक पहुंचाया जा सकता है।

प्रतिवेदन में आगे कहा गया कि हिंदी प्रतिस्पर्धा व प्रतियोगिता पर आधारित विश्व व्यवस्था को सहकार, समावेशन और सह-अस्तित्व पर आधारित वैकल्पिक दृष्टि प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का स्पष्ट मत यह भी है कि वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिन: के आधार पर अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वैश्वित बाजार का निर्माण किया जा सकता है।

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