श्रीलंका और भारत के बीच रामसेतु बनाने की कल्पना एक बार फिर की जा रही है। भारत पहुंचे श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि भूमि पुल कनेक्टिविटी के लिए श्रीलंका और भारत जल्द ही एक अध्ययन करेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया के समक्ष बयान जारी करते हुए कहा कि देशों देशों के बीच पेट्रोलियम लाइन के लिए Feasibility study की जाएगी। इसके अलावा एक land bridge की feasibility को भी जांचने का निर्णय लिया गया है।
ऐसे में यदि दोनों देशों के बीच पुल का निर्माण किया जाता है तो इससे दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी और भी बेहतर हो जाएगी। भारत श्रीलंका के साथ भूमि के जरिए भी जुड़ जाएगा।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा एलान करते हुए यह भी बताया कि अब श्रीलंका में भी भारत का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) शुरू किया जाएगा। बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस और सिंगापुर के बाद श्रीलंका में UPI के माध्यम से लेन-देन किया जा सकेगा। हालांकि UPI को लेकर वियतनाम से भी भारत की बातचीत अंतिम दौर में है।
आपको बता दें कि भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की उपस्थिति में दोनों देशों के बीच कई समझौतों का आदान-प्रदान किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच Economic and Technological Cooperation Agreement पर जल्द बातचीत शुरू की जाएगी। इससे दोनों देशों के लिए व्यापार और आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं खुलेंगी। दोनों देशा आज हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं। तमिलनाडु के नागपट्टनम और श्रीलंका के कांके-संतुरई के बीच Passenger Ferry Services शुरू करने का निर्णय भी लिया गया है।
मोदी ने कहा कि हम आशा करते हैं कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी और उनके सम्मान और गरिमा को सुनिश्चित करेगी। भारतीय मूल के तमिल समुदाय को श्रीलंका में 200 साल पूरे होने को हैं। ऐसे में श्रीलंका के भारतीय मूल के तमिल नागरिकों के लिए 75 करोड़ रूपए की लागत के विभिन्न प्रोजेक्ट्स कार्यान्वित किए जाएंगे।
मालूम हो कि पिछले साल श्रीलंका वित्तीय संकट में फंस गया था। श्रीलंका के पास डॉलर लगभग खत्म हो गए थे। ऐसे में उसे ईंधन, दवाएं आदि जरूरी सामानों के आयात के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उस वक्त भारत ने श्रीलंका को लगभग 4 बिलियन डॉलर (32,796 करोड़ रुपये) की त्वरित मदद की थी।