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अलबामा के इस म्यूजियम से हिंदू समुदाय ने क्यों कहा 'मांफी मांगो'

नेवादा के हिंदू समुदाय के नेता राजन जेड ने एक बयान में कहा कि म्यूजियम भगवान गणेश के रूप के बनाए गए चाबी के छल्लों को अपने स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से न बेचे और तुरंत हटाए। इससे हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।

अमेरिका के अलबामा राज्य में मौजूद बर्मिंघम म्यूजियम ऑफ आर्ट द्वारा बेचे जा रहे भगवान गणेश के रूप के चाबी के छल्ले पर स्थानीय हिंदू समुदाय ने रोष प्रकट किया है। हिंदू समुदाय ने बर्मिंघम म्यूजियम से इस कीचेन यानी चाबी के छल्ले को अपने स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से वापस लेने का आग्रह किया है और म्यूजियम से मांफी मांगने की भी बात कही है।

यह है वह चाबी का गुच्छा जिसे म्यूजियम के स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा बेचा जा रहा है।

नेवादा के हिंदू समुदाय के नेता राजन जेड ने एक बयान में कहा कि म्यूजियम भगवान गणेश के रूप के बनाए गए चाबी के छल्लों को अपने स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से न बेचे और तुरंत हटाए। इससे हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। जेड ने कहा कि भगवान गणेश हिंदू धर्म में बेहद पूजनीय हैं। उनके रूप को चाबी का छल्ला बनाना अनुचित है। इसे इधर-उधर फेंकना या चाबी की जंजीर आदि के रूप में इस्तेमाल करने से भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।

बता दें कि राजन जेड यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ हिंदुइज्म के अध्यक्ष हैं। जेड ने बर्मिंघम म्यूजियम ऑफ आर्ट (BMA) के निदेशक डॉ. ग्राहम सी. बोएचर से यह आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वे संग्रहालय के स्टोर और वेबसाइट से गणेश स्ट्रिंग डॉल को वापस लेने के अलावा एक औपचारिक माफी की पेशकश करें। बर्मिंघम के मेयर रान्डेल एलवुडफिन और बर्मिंघम सिटी काउंसिल के अध्यक्ष वार्डिन टावर्स अलेक्जेंडर से भी जेड ने इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया है।

राजन ने कहा कि बर्मिंघम म्यूजियम ऑफ आर्ट अमेरिका के एक बेहतरीन क्षेत्रीय संग्रहालयों में से एक है। उसे हिंदू देवी-देवताओं के अपमान करने जैसा कोई बिजनेस नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना और तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इसके लगभग 1.2 बिलियन अनुयायी हैं। इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि गणेश स्ट्रिंग डॉल यानी इस चाबी के छल्ले की कीमत म्यूजियम के स्टोर और ऑनलाइन $11 है। 1951 में स्थापित किए गए इस म्यूजियम में 27,000 से अधिक चित्र, मूर्तिकला, प्रिंट, रेखाचित्र और प्राचीन से आधुनिक काल तक की सजावटी कलाओं का एक विविध संग्रह है।

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