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लंदन के भारतवंशी क्यों हैं गदगद, लगाए 'जय शिवाजी-जय भवानी' के नारे!

महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और उदय सामंत द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के बाघ नख (बाघ का पंजा) को वापस लाने के लिए विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।

लंदन में हुए इस समझौते के बाद शिवाजी महाराज का बाघ नख तीन साल के लिए भारत आ जाएगा। Image : social media

लंदन में बसे भारतवंशियों को मंगलवार को ऐसी खुशी मिली है कि वे फूले नहीं समा रहे। खासतौर से लंदन में मराठा समुदाय के लोग गर्व के अहसास से लबरेज हैं। इसलिए कि पूरे भारत वर्ष और विशेष रूप से मराठा स्वाभिमान के ध्वजवाहक छत्रपति शिवाजी महाराज के अचूक अस्त्र 'बाघ नख' की भारत वापसी की पूरी प्रक्रिया एक समझौते के साथ कल पूरी हो गई।

महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और उदय सामंत द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के बाघ नख (एक तरह का छोटा हथियार) को वापस लाने के लिए विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। इसके बाद लंदन में प्रवासी भारतीयों ने जश्न मनाया और 'जय शिवाजी, जय भवानी' के नारे लगाए।

संग्रहालय के अधिकारी डॉ. ट्रिस्ट्राम हंट ने इसे दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक साझेदारी बताया। वहीं, ऐतिहासिक समझौते को लेकर भारतीय मूल के लेखक और लंदन में नेहरू संग्रहालय के निदेशक अमीष त्रिपाठी ने कहा कि इस दिन का उन लोगों के लिए खास महत्व है जो भारत के इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं। त्रिपाठी ने बाघ नख को 'दिव्य वस्तु' बताया।

तस्वीरें दर्शाती हैं कि विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में जहां यह बाघ नख अभी रखा हुआ है वहां साथ में एक बक्सा भी है। उसे छोटे से बक्से पर साफ तौर पर लिखा है कि इस बाघ नख का इस्तेमाल छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगल सुलतान अफजल खान को मारने के लिए किया था।

विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के साथ हुए समझौते के अनुसार शिवाजी महाराज का बाघ नख तीन साल के लिए भारत भेजा जा रहा है। जिस समय लंदन में इस नाते समझौते पर हस्ताक्षर किये जा रहे थे तो वहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग एकत्रित थे। समझौते के बाद मराठा समुदाय के लोगों ने जय शिवाजी-जय भवानी के नारे लगाये। इन नारों में मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भी भारतवंशियों का साथ दिया।

गौरतलब है कि बाघ नख का उपयोग शिवाजी महाराज ने 1659 में बीजापुर के सुलताम अफजल खां को मारने के लिए किया था। भारत और दुनिया भर में बसे मराठा समुदाय के लोग बाघ नख को शिवाजी महाराज का केवल गुप्त अस्त्र ही नहीं मानते बल्कि वे इसे आस्था से जोड़कर भी देखते हैँ। ऐतिहासिक समझौते के बाद विरासत और आस्था का प्रतीक यह प्रतीक जल्द भी भारत आ सकेगा।

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