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बड़ी मादक है व्हिस्की और उसकी हिस्ट्री, भारत में कई रूप रहे हैं मदिरा के

भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ बताते हैं कि 3000 ईसा पूर्व शराब बनना शुरू हो गई थी और उसे सुरा कहा जाता था। यूरोपियन देशों में भी प्राचीन वक्त से शराब का चलन है, लेकिन माना जाता है कि वहां आधिकारिक तौर पर शराब परोसने का चलन 1000 ईस्वी से शुरू हुआ।

विश्व में जितना भी साहित्य लिखा गया है, उसमें ईश्वर का नाम पहले नंबर पर है, दूसरे नंबर पर प्रकृति का और आपको हैरानी होगी कि तीसरे नंबर पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शराब (Whisky) या मदिरा का जिक्र किया गया है। बात वाकई चौंकाने वाली है कि आखिर शराब में ऐसा क्या है कि वह इतना प्रचार पा गई। अगर हम मदिरा सेवन करने वाले कवि/शायरों/साहित्यकारों का नाम गिनाने लगेंगे तो यह लेख उनके ‘कारनामों’ से ही भर जाएगा, लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं शराब या मदिरा के इतिहास से जुड़ी कुछ अनोखी जानकारियां।

पुरातत्वविदों को मिस्र में 5000 साल पुरानी शराब की भट्टी मिली थी। (फोटो सोशल मीडिया)

हजारों सालों से लोग मदिरा का सेवन करते रहे हैं। धार्मिक कार्यों तक में शराब का उपयोग होता रहा है। प्राचीन भारत में तो कई प्रकार की मदिरा, आसव, सुरा आदि बनाई जाती थीं। परंतु इनका मकसद नशा कम, शरीर को दुरुस्त रखना ज्यादा होता था। भारत में सोमरस को भी शराब नहीं एनर्जी ड्रिंक माना जाता था।

मानव सभ्यता से जुड़ी हुई है शराब

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