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लंदन से 'कोहिनूर' की कब होगी वापसी, लाख टके का सवाल अभी भी अटका है!

सूत्रों के हवाले से ब्रिटिश मीडिया में आई इन खबरों का खंडन किया गया है कि ब्रिटेन कोहिनूर हीरे को वापस भारत को लोटा रहा है। कोहिनूर हर भारतीय के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान से जुड़ा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में आने से पहले 105 कैरेट का हीरा भारत में शासकों के पास था।

कोहिनूर हीरा हर भारतीय के लिए सम्मान और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। फोटो : ट्विटर @deepankarthishb

भारत के लोगों को यह खबर सुनकर खुशी हुई होगी कि भारत कोहिनूर हीरे समेत ब्रिटेन के संग्रहालयों में रखीं मूर्तियों और औपनिवेशिक युग की अन्य कलाकृतियों को वापस लाएगा। शनिवार को एक ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी। लेकिन सूत्रों के हवाले से ब्रिटिश मीडिया में आई इन खबरों का खंडन किया गया है। अब कोहिनूर हीरे की वापसी पर संदेह के बादल फिर मंडराने लगे हैं।

UK Media Reports On India’s Move To Bring Back Kohinoor Incorrect: Sources
Informed sources have denied reports in the British media that India has mobilised diplomatic resources to bring back the Kohinoor diamond and other artefacts including idols and sculptures from museums in Britain.

मीडिया में सूत्रों के हवाले से अब ये खबर चल रही है कि यह सच नहीं है कि ब्रिटेन से हजारों कलाकृतियों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रिस्तरीय और राजनयिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। भारत के सरकारी सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट में उद्धृत अधिकारी ने कोहिनूर का कभी उल्लेख नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं के अनुरूप द्विपक्षीय सहयोग और साझेदारी के माध्यम से पुरावशेषों को वापस लाने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह प्रक्रिया पहले भी और कई देशों के साथ हो रही है, जिनके पास भारतीय कलाकृतियां हैं। मालूम हो कि कोहिनूर पिछले हफ्ते ब्रिटेन में राज्याभिषेक समारोह के समय सुर्खियों में था। लेकिन रानी कैमिला ने अपने मुकुट के लिए वैकल्पिक हीरे को चुनकर एक राजनयिक विवाद को टाल दिया।

दरअसल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) जहां स्वतंत्रता के बाद से देश के बाहर तस्करी की गई वस्तुओं को फिर से हासिल करने के लिए प्रयास में जुटा है। इसी कड़ी में भारत के अधिकारी लंदन में राजनयिकों के साथ समन्वय कर रहे हैं जिससे औपनिवेशिक शासन के दौरान युद्ध की लूट के रूप में जब्त की गईं या उत्साही लोगों द्वारा जुटाई गईं कलाकृतियों को रखने वाले संस्थानों से इन्हें वापस करने का औपचारिक अनुरोध किया जा सके।

बता दें कि पिछले साल स्कॉटलैंड के संग्रहालयों का संचालन करने वाले धर्मार्थ संगठन ग्लासगो लाइफ ने सात कलाकृतियों को भारत वापस भेजने के लिए भारत सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इनमें से अधिकांश वस्तुओं को 19वीं शताब्दी के दौरान उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों में मंदिरों और धार्मिक स्थलों से निकाला गया था।

कोहिनूर हीरा हर भारतीय के लिए सम्मान और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। महाराजा रणजीत सिंह के खजाने से ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में आने से पहले 105 कैरेट का हीरा भारत में शासकों के पास था और फिर पंजाब के विलय के बाद ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को इसे दे दिया गया था। भारत के लोगों की इच्छा है कि उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ब्रिटेन कोहिनूर हीरे को वापस लौटा दे।

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